बाजपुर चीनी मिल के चीफ इंजीनियर विनीत जोशी को निलंबित कर दिया गया है. उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठाते हुए प्रशासक चंद्रेश कुमार ने उन्हें सितारगंज चीनी मिल में संबद्ध कर दिया है.
उन पर ब्लैक लिस्ट कंपनी को पूरा भुगतान करने, चीनी मिल तकनीकी या अन्य कारणों से बंद रहने सहित कई आरोप हैं.
बाजपुर चीनी मिल को सुचारू रूप से न चलाए जाने, निर्धारित पेराई क्षमता के सापेक्ष कम उपयोग और मैकेनिक व इलेक्ट्रिकल कारणों से हो रही बंदियों को देखते हुए छह फरवरी को प्रशासक चंद्रेश कुमार ने मिल के प्रधान प्रबंधक से रिपोर्ट और चीफ इंजीनियर विनीत जोशी से स्पष्टीकरण मांगा था. रिपोर्ट में प्रधान प्रबंधक ने स्पष्ट किया कि तकनीकी बंदियों के लिए मुख्य रूप से चीफ इंजीनियर ही उत्तरदायी हैं.
चूंकि वह अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं, इसलिए उनकी जवाबदेही है. यह भी उल्लेख किया गया था कि पांच फरवरी से सात फरवरी के दौरान सुपरस्पैक टैक लिमिटेड लखनऊ के तकनीकी दल ने भी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में केन फीडिंग यूनिट और केन प्रिपरेशन से संबंधित तैयारियों पर प्रतिकूल टिप्पणी की थी.
प्रधान प्रबंधक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि चीनी मिल में केन अनलोडरों की मरम्मत के लिए जिस मैसर्स चंद्रपाल सिंह को ठेका दिया गया था, उसने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया. जिसके चलते उसे तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था.
इसके बावजूद चीफ इंजीनियर जोशी की सिफारिश पर उस फर्म को पूरा भुगतान कर दिया गया जो कि उनकी फर्म से मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पेराई सत्र 2020-21 में चीनी मिल में स्वीकृत रिपेयर और मेंटिनेंस के लिए प्रति कुंतल तीन रुपये खर्च किया जाना था.
इसके लिए एक करोड़ पांच लाख रुपये स्वीकृत थे, जिसमें से 92 लाख 74 हजार रुपये पेराई सत्र पूरा होने से पहले ही खर्च कर दिए गए.
विनीत जोशी ने नवंबर 2018 में चीनी मिल में कार्यभार ग्रहण किया था. उनसे पहले 2018-19 में चीनी मिल में 52 घंटे बंदी हुई थी लेकिन 2019-20 में 96 घंटे चीनी मिल बंद रही. लिहाजा, प्रशासक ने उन्हें निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी है. गन्ना एवं चीनी आयुक्त ललित मोहन रयाल को जांच अधिकारी नामित किया गया है.