गुरुवार को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया दोपहर डेढ़ बजे से शुरू हुई.
इसके बाद दोपहर 3:35 बजे मंदिर के कपाट विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद बंद कर दिए गए.
गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के बाद गुरुवार को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकाल के लिए चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया.
कपाट बंद होने के दौरान धाम में करीब पांच हजार श्रद्धालु मौजूद रहे. कपाट बंद होने से पहले श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के जयकारे लगाए. इस दौरान बदरीनाथ परिसर में सेना की बेंड की धुन पर श्रद्धालु जमकर थिरके.
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत लक्ष्मी मंदिर में कड़ाई भोग का आयोजन किया गया. इस भोग को लक्ष्मी माता को लगाया गया और प्रसाद स्वरूप श्रद्धालुओं को यह भोग बांटा गया.
कपाट बंद होने से पहले बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की मूर्ति को बदरीनाथ गर्भगृह में रखी और उद्धव व कुबेर की मूर्तियों को बदरीश पंचायत (गर्भगृह) से बाहर लाकर उत्सव डोली में रखकर पांडुकेश्वर के लिए रवाना किया. बता दें कि इस सीजन में अभी तक धाम में एक लाख 38 हजार श्रद्धालु पहुंच चुके हैं.
कपाट बंद होने के मौके पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोरोना काल के बीच चारधाम यात्रा के सफल संचालन पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी. शुक्रवार को सुबह 9:30 बजे बदरीनाथ धाम से श्री उद्धव जी और कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर होते हुए नृसिंह मंदिर जोशीमठ में प्रस्थान करेगी. 21 नवंबर को डोली नृसिंह मंदिर जोशीमठ में विराजमान हो जाएगी.