जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे प्रमुख विश्वविद्यालय प्रतिष्ठित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में फिसल गए हैं, जबकि यहां का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी दिल्ली 11 स्थान की बढ़त के साथ 174वें स्थान पर पहुंच गया है.
वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक Quacquarelli Symonds (QS) ने गुरुवार को विश्वविद्यालय के प्रदर्शन के बारे में दुनिया के सबसे लोकप्रिय तुलनात्मक आंकड़ों का 19वां संस्करण जारी किया.
दिल्ली विश्वविद्यालय, जो दुनिया के सबसे अधिक परामर्श प्राप्त अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय रैंकिंग के 19वें संस्करण में शामिल होने वाला 10वां सर्वश्रेष्ठ भारतीय विश्वविद्यालय है, पहले के 501-510 वर्ग से 521-530 श्रेणी में फिसल गया है.
वहीं, जेएनयू की रैंकिंग जो पहले 561-570 के बीच थी जो अब घटकर 601-650 ब्रैकेट में आ गई. इसी तरह जामिया मिलिया इस्लामिया जो पिछले साल 751-800 के बीच था, अब 801-1000 के बीच है.
ऐसे में रैंकिंग से पता चला है कि जामिया हमदर्द पिछले संस्करण में 1001-1200 के ब्रैकेट में था जो इस बार गिरकर 1201-1400 ब्रैकेट में आ गया है.
दिल्ली के बाहर के विश्वविद्यालयों में हैदराबाद विश्वविद्यालय (651-700 से गिरकर 751-800 तक), जादवपुर विश्वविद्यालय (651-700 से से गिरकर 701-750 तक) और आईआईटी-भुवनेश्वर (701-750 से गिरकर 801-100) की कैटेगरी में आ गया है.
इसी तरह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु, प्रतिष्ठित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में सबसे तेजी से उभरता हुआ दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय है, जिसने 31 स्थान प्राप्त किए हैं. जबकि चार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भी इस श्रेणी में शामिल हुए हैं. पिछले संस्करण की तुलना में उच्च रैंक मिले हैं.
रैंकिंग के अनुसार, 13 भारतीय विश्वविद्यालयों ने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अपने शोध प्रभाव में सुधार किया है. इसके विपरीत, भारतीय विश्वविद्यालय क्यूएस की संस्थागत शिक्षण क्षमता के माप के साथ संघर्ष करना जारी रखते हैं. भारत के 41 रैंक वाले विश्वविद्यालयों में से तीस को क्यूएस के संकाय और छात्र अनुपात (एफएसआर) संकेतक में गिरावट का सामना करना पड़ा है. केवल चार विश्वविद्यालय ही ऐसे हैं जिसने अपने रिकॉर्ड में सुधार लाया है.