एक नज़र इधर भी

जानिए पृथ्वी जैसे बाह्यग्रह का नाम क्यों ‘Pi Earth’ रखा है खगोलविदों ने

0
फोटो साभार -न्यूज़ 18

खगोलविदों को हमारे सौरमंडल के बाहर कई तरह के बाह्यग्रह मिलते हैं. कई आकार की तरह खास होते हैं तो कुछ अपनी अलग ही खूबियों की वजह से ध्यान खींचते हैं.

लेकिन इस बार जिस बाह्यग्रह की खोज हुई है उसकी गणित से बहुत ही रोचक संबंध है.

यह ग्रह वैसे तो पृथ्वी के आकार का है, लेकिन इसके अपने सूर्य की परिक्रिमा लगाने के समय ने इसे दिलचस्प बना दिया है. यह केवल 3.14 दिन में अपने सूर्य का चक्कर लगाता है.

पाई का मान
186 प्रकाश वर्ष दूर स्थित यह बाह्यग्रह की खास बात यही है कि इसकी परिक्रमा का समय गणित की अचर राशि पाई के मान आसपास है.

गणितीय गणनाओं में पाई का नजदीकी मान 3.14 उपयोग में लाया जाता है और यही इस ग्रह की परिक्रिमा भी समय है ऐसे में जिन खगोलविदों ने इस ग्रह को खोजा है उन्होंने इसका ग्रह का उपनाम पाई अर्थ दिया है जबकि इसका आधिकारिक नाम K2-315b है.

क्या होता है पाई
गणित में पाई को किसी वृत्त की परिधि और उसके व्यास के अनुपात से मापा जाता है. यह एक अचर राशि है.

इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी आकार के वृत का उसके व्यास के साथ अनुपात का मान हमेशा एक ही होगा और स्कूल के स्तर के विद्यार्थी इसका मान 3.14 उपयोग में लाते हैं जो कि इसके सन्निकट मान है सटीक मान नहीं.

कैसे खोजा यह ग्रह
इस तारे पर खगोलविदों की नजर लंबे समय से थी जब 2017 में केप्लर सपेस टेलीस्कोप अपने दूसरे अभियान पर था. छोटे, कम चमकीले लाल ड्वार्फ तारे का यह ग्रह आकार में अपने सूर्य का केवल 20 प्रतिशत ही है.

कैप्लर ने पाया कि यह तारा नियमित अंतराल पर बीस बार धुंधला पड़ जाता है. यह बाह्यग्रहों को खोजने का प्रमुख तरीका होता है.

चमक फीकी पड़ने का मतलबतारों की इस तरह चमक फीकी पड़ने का मतलब होता है कि तारे और हमारे बीच की रेखा में वह ग्रह आ रहा है जिसे ट्रांजिट कहते हैं.

तारे के प्रकाश की चमक में बहुत थोड़े से बदलाव के रूप में इस ट्रांजिट का पता चलता है. लेकिन केवल एक बार ही चमक फीकी पड़ने को शोधकर्ता किसी बाह्यग्रह की उपस्थिति कि पुष्टि नहीं मानते.

100 अरब सूर्यों वाले Black holes से वैज्ञानिकों को क्यों हैं बहुत उम्मीदेंटेलीस्कोप नेटवर्क की ली मददइसी वजह से केप्लर के आंकड़ों के साथ ही खगोलविद प्रज्वल निरौला और उनके साथियों स्पेक्यूलूस (SPECULOOS) नाम के टेलीस्कोप नेटवर्क से इसका अध्ययन किया.

स्पेक्यूलूस के टेलीस्कोप फीकी चमक वाले ड्वार्फ तारों के आसपास पृथ्वी के आकार के बाह्यग्रहों की खोज करते हैं. शोधकर्ताओं का यह अध्ययन एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

कितना बड़ा है यह ग्रह
K2-315 का अवलोकन करने के बाद बाद टीम ने तीन बार चमक फीकी पड़ते हुए देखा और उनहोंने डब्ल्यू एम केक ऑबजर्वेटरी के हीरेस (HIRES) उपकरण से उसके तारे के स्पैक्ट्रम का अध्ययन किया.

इस ग्रह के आकार के बारे में भी पता चला कि यह पृथ्वी के आकार का 95 प्रतिशत है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि चमक फीकी पड़ने की दर 3.14 दिन के उस समय के बराबर थी जो केप्लर ने तीन साल पहले अवलोकित की थी.

वहीं तारे के स्पैक्ट्रम ने भी इस बात की पुष्टि कर दी कि चमक का फीका होना ग्रह के गुजरने के कारण ही हो रहा था.

ग्रह की परिक्रमा का पाई मान के और इसका आकार पृथ्वी के जैसे होने की वजह से ही शोधकर्तओं ने ग्रह को पाई अर्थ नाम दिया है.

साभार-न्यूज़ 18

Exit mobile version