भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. नेपाल और भारत का रिश्ता महज राजनीतिक या कूटनीतिक नहीं है, बल्कि बेटी और रोटी का संबंध है.
यह बात अलग है कि हाल के दिनों में चीन के प्रभाव में आकर नेपाली पीएम के पी शर्मा ओली ने कुछ ऐसे कदम उठाए जिसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया.
खासतौर से जब नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद संसद से पारित करा लिया. लेकिन अब नेपाल की तरफ से सुलह के संकेत मिले हैं.
आर्मी चीफ एम एम नरवणे के दौरे से पहले रॉ के चीफ के पी शर्मा ओली से एकांत में लंबी बातचीत की थी और उसका दो असर दिखाई दिया.
पहला ये कि के पी शर्मा ओली ने ट्वीट के जरिए नेपाल के पुराने नक्शे को दिखाया और दूसरा ये कि ओली ने अपने रक्षा मंत्री को हटा दिया. नेपाल के तत्कालीन रक्षा मंत्री के बारे में बताया जाता है कि वो भारत विरोध के हिमायती थे.
नेपाल यात्रा बेहद महत्वपूर्ण
नेपाल जाने से पहले आर्मी चीफ एम एम नरवणे ने कहा कि वो अपनी काठमांडू यात्रा से बहुत उत्साहित हैं. वो नेपाली पीएम के पी शर्मा ओली के प्रति कृतज्ञ हैं कि उन्होंने नेपाल आने का मौका दिया और उन्हें नेपाल के सर्वोच्च सैन्य सम्मान जनरल ऑफ नेपाल आर्मी के रैंक से राष्ट्रपति नवाजेंगे.
इसके अतिरिक्त उनके समकक्ष नेपाल के सेनाध्यक्ष पूरन चंद्र थापा से भी मुलाकाता होगी. उन्हें उम्मीद है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई तक ले जाएगी.
जानकार की राय
जानकारों का कहना है कि जिस तरह से इस तरह की खबरें आती रही हैं कि नेपाल के सात जिलों में चीन ने अतिक्रमण किया है उसका नेपाल में काफी विरोध है.
ओली सरकार वैसे तो चीनी अतिक्रमण की खबरों को नकारती रही है लेकिन सच यह है कि नेपाल सरकार के एक विभाग ने ही सर्वे रिपोर्ट पेश की थी.
इसके अलावा जिस तरह से भारत की जमीन पर नेपाल ने दावा किया और उसकी दबी प्रतिक्रिया नेपाल में दिखाई देने लगी उसके बाद ओली सरकार के तेवर ढीले पड़े.