बुधवार को आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे ने दो टूक कहा कि चीन के साथ भारत का रिश्ता वैसा ही होगा, जैसा हम चाहेंगे. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि ये पूर्ण रूप से सरकार की सोच है कि चीन के साथ हमारी रिश्ता उसी तरीके से विकसित होगा, जैसी हमारी इच्छा उसे विकसित करने की होगी.”
आर्मी चीफ ने कहा कि एक सरकार के तौर पर, एक राष्ट्र के तौर पर हमने दिखा दिया है कि जो भी समाधान हुए हैं, उसमें हमारा राष्ट्रहित सर्वोपरि है. जनरल नरवणे ने आगे कहा कि एक पड़ोसी के तौर पर हम चाहेंगे कि सीमा पर शांति और स्थिरता रहे और कोई नहीं चाहता कि सीमा पर किसी तरह की अस्थिरता रही. पीटीआई के मुताबिक पैंगोग त्सो में चीन के साथ तनाव खत्म होने के मामले पर जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि ये बहुत अच्छा परिणाम है और दोनों देशों के लिए जीत की स्थिति है.
बता दें कि फरवरी के मध्य में पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो के पास एलएसी पर भारत और चीन के बीच करीब नौ महीने तक चला तनाव कम होने लगा था. खबरों के मुताबिक दोनों देशों के बीच समझौता होने के महज दो दिन के अंदर चीन ने 200 से अधिक टैंक हटा लिए थे.
दोनों देशों का फोकस अब सीमा पर अन्य इलाकों में जारी तनाव को खत्म करने पर है. चीन के साथ तनाव के मसले पर राज्य सभा में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि चीनी सेना फिंगर आठ से पीछे हटने को तैयार हो गई है. भारतीय और चीनी सैनिकों का प्रारंभिक विघटन पैंगोग झील तक सीमित है और दोनों सेनाओं को अपनी असल तैनाती पर वापस आने में दो हफ्ते का समय लग सकता है.
रक्षामंत्री ने कहा था कि एक बार ये प्रक्रिया खत्म हो जाती है तो 48 घंटों के भीतर एक कोर कमांडर स्तर की बैठक होगी, जिसमें गतिरोध वाले अन्य स्थानों जैसे हॉट स्प्रिंग, गोगरा और 900 वर्ग किलोमीटर के देप्सांग इलाके के गतिरोध पर चर्चा की जाएगी.
राजनाथ सिंह ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ कुछ अन्य बिंदुओं पर तैनाती और गश्त के संबंध में अभी भी कुछ बकाया मुद्दे हैं. ये चीनी पक्ष के साथ आगे की चर्चा का फोकस होंगे.