कोई भी यूजर अपने डिवाइस में खुद मैलवेयर क्यों इंस्टॉल करेगा? हालांकि, ऐसा तब किया जा सकता है जब यूजर को पता ही ना चले और उसकी फाइल मैलवेयर में बदल जाए. गूगल ड्राइव से जुड़ी एक बड़ी खामी सामने आई है, जिसका फायदा उठाकर हैकर्स विक्टिम को बेवकूफ बना सकते हैं और वह खुद मैलवेयर इंस्टॉल कर लेगा. दरअसल, हैकर्स खामी का फायदा उठाकर गूगल ड्राइव की किसी फाइल को उसी नाम और फाइल टाइप वाले मैलवेयर से रिप्लेस कर सकते हैं.
सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर ए. निकोची के मुताबिक, गूगल ड्राइव के ‘मैनेज वर्जन्स’ फीचर की मदद से कोई हैक्स यूजर की ड्राइव में स्टोर की गई फाइल को डिलीट कर उसी नाम और फाइल टाइप वाला मैलवेयर सेव कर सकता है.
यह फाइल अपने किसी डिवाइस में डाउनलोड करते वक्त यूजर को लगेगा कि वह अपनी फाइल डाउनलोड कर रहा है और बदले में मैलवेयर इंस्टॉल हो जाएगा. यानी कि एक नॉर्मल सी सेल्फी इमेज भी गूगल ड्राइव में मैलवेयर में बदली जा सकती है.
ऑनलाइन प्रिव्यू में पता नहीं चलता
ऐसे मैलवेयर का पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि ऑनलाइन प्रिव्यू में कोई ऐसी बात नहीं दिखती, जिसके आधार पर शक किया जाए. ऑनलाइन ड्राइव में सामान्य दिखने वाली फाइल एक बार डाउनलोड या इंस्टॉल किए जाने के बाद अपना काम करती है.
खतरनाक यह बात भी है कि किसी थर्ड पार्टी एंटीवायरस से अलर्ट मिलने के बाद भी गूगल क्रोम ब्राउजर ड्राइव से किए गए डाउनलोड्स को ट्रस्ट करता है.
डेटा चोरी और हैकिंग का खतरा
मैलवेयर की मदद से फिशिंट अटैक कर यूजर्स का डेटा चुराया जा सकता है, या फिर मैलिशस प्रोग्राम्स को सिस्टम का ऐक्सेस मिल सकता है. शेयर्ड ऐक्सेस होने पर बड़ा नेटवर्क इससे प्रभावित हो सकता है.
गूगल को यह प्रॉब्लम बताए जाने के बाद भी अब तक इसका कोई सॉफ्टवेयर पैच रिलीज नहीं किया गया है. इसका असर गूगल ड्राइव पर फाइल शेयर करने वाले यूजर्स पर बुरा पड़ सकता है.
साभार: नवभारत