केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब 2 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने प्रस्तावित अनशन को रद्द कर दिया है.
अन्ना हजारे 30 जनवरी से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में अनशन करने वाले थे. शुक्रवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने अन्ना हजारे से उनके गांव रालेगण सिद्धी जाकर मुलाकात की और इसके बाद अन्ना ने अपना फैसला बदल दिया. अनशन रद्द होने के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में अन्ना हजारे के ऊपर तंज कसा है.
शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा, ‘पहले ऐसा लग रहा था कि किसान आंदोलन के मुद्दे पर अन्ना हजारे एक स्टैंड लेने वाले हैं. लेकिन, अचानक उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया, इसलिए हम तो वास्तव में नहीं जानते कि कृषि कानूनों पर उनका रुख क्या है. आखिर कृषि कानूनों पर अन्ना हजार की क्या राय है? क्या अन्ना हजारे उन लोगों के समर्थन में हैं, जो दिल्ली की सीमाओं पर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. अन्ना हजारे किसकी तरफ हैं, कम से कम महाराष्ट्र को तो ये बात पता चले.’
शिवसेना ने आगे लिखा, ‘आज देश की राजधानी की सीमाओं पर बुजुर्ग किसान आंदोलन कर रहे हैं. अन्ना हजारे को उनके साथ खड़ा होना चाहिए था.
इस तरह रालेगण सिद्धि में बैठकर भाजपा नेताओं के साथ खेल खेलना समझ से परे है. केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को खत्म करने के लिए उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रही है, जैसे वो कोई अंतर्राष्ट्रीय अपराधी हों. अन्ना हजारे को ये बात भी समझनी चाहिए कि जब उन्होंने शुरुआत में अनशन की घोषणा की थी, तो किसानों को एक मजबूत समर्थन का एहसास हुआ था.’
आपको बता दें कि शुक्रवार को महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद अन्ना हजारे ने अपना अनशन वापस ले लिया था. अन्ना हजारे ने कहा कि वो अपना अनशन रद्द कर रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार ने किसानों के मुद्दे पर काम करने का फैसला लिया है.