अनंत चतुर्दशी विशेष: भगवान विष्णु और बप्पा की विदाई की साक्षी अनंत चतुर्दशी पर भक्तों की उमड़ती अपार श्रद्धा

आज पूरे देश भर में अनंत चतुर्दशी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है.यह एक ऐसा पर्व है जिसमें श्रद्धालु दो आराध्यों की पूजा-अर्चना करते हैं. आइए आपको बताते हैं यह दो आराध्य कौन से हैं. पहले भगवान विष्णु की भक्त उपासना करते हैं. दूसरे गणेश की विदाई यानी विसर्जन का दिन भी अनंत चतुर्दशी को किया जाता है. पहले बात करेंगे गणपत बप्पा की. सही मायने में भगवान गणेश का विसर्जन भक्तों के लिए सबसे बड़ी कठोर विदाई का समय रहता है.

इसका कारण है कि भगवान बप्पा को भक्त 10 दिन तक अपने घरों में विराजमान करते हैं उसके बाद विदाई दी जाती है. यहां आपको बता दें कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक गणेश की उपासना के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इसे नौ दिन गणेश नवरात्रि भी कहा जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान फिर से कैलाश पर्वत पहुंच जाते हैं.

गणेश चतुर्थ पर स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. कुछ विशेष उपाय करके इस दिन जीवन कि मुश्किल से मुश्किल समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. आज महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में भगवान गणेश की विदाई करने के लिए श्रद्धालुओं को भावुक देखा जा सकता है. अब बात करेंगे भगवान विष्णु के बारे में.


सौभाग्य एवं रक्षा और सुख के लिए भगवान विष्णु की जाती है उपासना
अनंत चतुर्दशी के दिन पूरे देश भर में श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं.इस दिन मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. इसके लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है. बंधन का प्रतीक सूत्र हाथ में बांधा जाता है और व्रत के पारायण के समय इसको खोल दिया जाता है. इस दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन की तमाम विपत्तियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने वाली महिला को सुबह व्रत के लिए संकल्प लेना चाहिए व भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए.

विष्णु के सामने 14 ग्रंथियुक्त अनंत सूत्र को रखकर भगवान विष्णु के साथ ही उसकी भी पूजा करनी चाहिए.ऐसी धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का संबंध महाभारत काल से है. कथा अनुसार, कौरवों से जुआ हारने के बाद पांडव वन-वन भटक रहे थे तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा, हे धर्मराज जुआ खेलने के कारण देवी लक्ष्मी आप से रुष्ट हो गई हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए आपको अपने भाइयों के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना चाहिए. हिंदू शास्त्रों में अनंत चतुर्दशी देशभर में पूरे श्रद्धा के साथ मनाई जाती है.


अनंत चतुर्दशी पर ‘अनंत सूत्र’ बांधने की देश में रही है परंपरा
अनंत चतुर्दशी पर देशभर में अनंत सूत्र बांधने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. बता दें कि अनंत सूत्र को लेकर ये मान्यता है कि इस सूत्र में भगवान विष्णु का वास होता है. अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र को भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद इसे बांह में बांधा जाता है. अनंत सूत्र को पहने से पहले ये जान लेना चाहिए कि अनंत सूत्र में 14 गांठें होनी चाहिए.क्योंकि 14 गांठों को 14 लोकों से जोड़कर देखा जाता है.

मान्यता है कि भौतिक जगत में 14 लोक बनाए जिनमें भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक शामिल है, अनंत सूत्र में लगने वाली प्रत्येक गांठ एक लोक का प्रतिनिधित्व करती है. आज के दिन अनंत कथा सुनने अनंत धारण करने के साथ मीठा पकवान भगवान विष्णु को अर्पित कर प्रसाद स्वरूप परिजनों सहित ग्रहण करना पूर्ण फलदाई माना जाता है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार


मुख्य समाचार

विज्ञापन

Topics

    More

    26/11 हमले के साजिशकर्ता ताहव्वर राणा दिल्ली पहुंचे, 16 साल बाद भारत की बड़ी जीत

    26/11 मुंबई आतंकी हमले के प्रमुख साजिशकर्ता ताहव्वर राणा...

    Related Articles