तेहरान|…. रविवार(11अप्रैल ) को ईरान में नतांज़ परमाणु केंद्र में हुए ब्लैक आउट की पूरी दुनिया में चर्चा है. ये हादसा था या साजिश का नतीजा और इसके पीछे किसका हाथ है इसको लेकर अलग-अलग रिपोर्ट आ रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ हो सकता है. ईरान ने इस ब्लैक आउट के पीछे साइबर अटैक को वजह बताते हुए इसे आतंकी हमला करार दिया है. साथ ही कहा है कि ये हमले किसी षड्यंत्र के तहत किए गए.
ईरान के सरकारी अधिकारियों ने ये नहीं बताया कि परमाणु केंद्र को नुक़सान पहुंचाने के लिए कौन ज़िम्मेदार है, लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ‘परमाणु आतंकवाद’ से मुकाबला करने की अपील की है.
इस हादसे में किसी की मौत या रेडियोएक्टिव तत्वों के फैलने की खबर नहीं है, लेकिन बिजली सप्लाई में बाधा आई है. रविवार सुबह ईरान के कई इलाकों से ब्लैक आउट की खबरें आई थीं. बता दें कि इस हमले से ठीक एक दिन पहले ईरान ने यूरेनियम के एक नए सेंट्रीफ्यूज़ को चालू किया था.
इस मशीन से द्रव और ठोस पदार्थ को अलग किया जाता है. राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इसका उद्घाटन किया था. इस कार्यक्रम का ईरान में प्रसारण भी किया गया था.
ईरानी परमाणु केंद्र को ऐसे वक़्त में निशाना बनाया गया है, जब अमेरिका के मौजूदा बाइडन प्रशासन की ओर से 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं.
ईरानी अधिकारियों ने इस घटना की जांच की, जबकि कई इजरायली मीडिया घरानों ने अटकलें लगायी कि नतांज़ परमाणु संयंत्र में हुई यह घटना किसी साइबर हमले के चलते हो सकती है. अगर इजराइल इसके लिए जिम्मेदार है तो इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव और बढ़ सकता है.
बता दें कि नतांज़ के संयंत्र में पिछले साल जुलाई में एक रहस्यमयी विस्फोट भी हुआ था. ईरानी परमाणु संयंत्र पर हमला करने को लेकर इजराइल हमेशा संदेह के घेरे में रहा है.
ईरान ने इससे पहले भी देश के सैन्य परमाणु कार्यक्रम की कई दशक पहले शुरुआत करने वाले वैज्ञानिक की हत्या के लिए इजराइल को ही दोषी ठहराया था. इजराइल ने किसी भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन उसके प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कई बार ईरान को अपने देश के लिए बड़ा खतरा बताया है.
साभार-न्यूज 18