नई दिल्ली| दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स के एक मामले में फैसला दिया है कि लीज एग्रीमेंट खत्म होने पर प्रॉपर्टी मालिक को किरायेदार से मुआवजा, क्षतिपूर्ति या लाभ के तौर पर मिली रकम को आय माना जाएगा.
इस पर नियमों के मुताबिक इनकम टैक्स भी वसूला जाएगा. दरअसल, इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते हुए एक प्रॉपर्टी मालिक ने दावा किया था कि किरायेदार से मिली हुई रकम उसकी आय नहीं थी. लिहाजा, इस रकम को आयकर के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए. उसने दावा किया थ कि ये रकम कैपिटल रिसीट थी.
मामले में एक प्रॉपर्टी ओनर ने किरायेदार के साथ एग्रीमेंट किया और हर महीने का किराया तय कर लिया. साथ ही एग्रीमेंट में यह भी तय किया गया कि हर साल किराये में कितनी बढ़ोतरी की जाएगी. किरायेदार ने इस एग्रीमेंट का पालन नहीं किया तो प्रॉपर्टी मालिक ने उसके खिलाफ मुकदमा कर दिया.
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रॉपर्टी मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए किरायेदार को ब्याज समेत सभी भुगतान करने का आदेश दिया.
इसके बाद जब प्रॉपर्टी मालिक ने आईटीआर फाइल किया तो उसने दावा किया कि किरायेदार से मिली हुई रकम को उसकी आय मानकर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मामले में दलील दी कि किरायेदार से मिली रकम प्रॉपर्टी मालिक की आमदनी ही मानी जाएगी. ऐसे में उस पर इनकम टैक्स भी लगना चाहिए.
डिपार्टमेंट ने आगे दलील दी कि प्रॉपर्टी मालिक को लीज एग्रीमेंट खत्म होने के बाद किरायेदार से रकम मिली, जिसे किराये से हुई आमदनी का हिस्सा नहीं माना जा सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पाया कि प्रॉपर्टी मालिक को मिली रकम उस किराये के बदले थी, जो वह किरायेदार से हासिल करता था.
कोर्ट ने किरायेदार को ये रकम ब्याज समेत प्रॉपर्टी मालिक को देने का आदेश दिया था. यह ऐसा मामला था, जिसमें पूंजीगत संपत्ति को नुकसान हुआ था.
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि किरायेदार के अचल संपत्ति पर अनधिकृत कब्जे के कारण प्रॉपर्टी मालिक को हुआ लाभ आयकर नियमों के तहत टैक्सेबल इनकम है.
साभार-न्यूज़ 18