पश्चिम बंगाल के दो दिन के दौरे पर गृहमंत्री अमित शाह हैं. इस दफा वो दक्षिण 24 परगना के नामखाना से परिवर्तन यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. लेकिन उससे पहले वो कोलकाता के भारत सेवा आश्रम गए और इसके अलावा गंगा सागर में कपिल मुनि आश्रम भी जाएंगे.
सवाल यह है कि जिस तरह से भारत सेना आश्रम और कपिल मुनि आश्रम का चुनाव किया गया है उसके पीछे की वजह क्या है. जानकारों की इस विषय पर अलग अलग राय है. लेकिन उससे पहले बुधवार को बंगाल में क्या कुछ हुआ उसे समझना जरूरी है.
अमित शाह ने कहा कि वो गंगा सागर के पवित्र जगह पर मौजूद हूं. कपिल मुनि का मंदिर आध्यात्म का केंद्र है. उन्होंने सब तीर्थ एक बार बार गंगासागर का एक बार जिक्र होता है. नमामि गंगा का कार्यक्रम गंगोत्री से गंगासागर तक है. लेकिन बंगाल आने तक प्रोजेक्ट रुक जाता है. यहां के हालात को देखकर दुख होता है. उन्होंने कहा कि सरकार आने पर इस इलाके का विकास करेंगे. उत्तरायण का जो मेला लगता है उसे और भव्य बनाने की कोशिश करेंगे.
भारत सेवा आश्रम के कामकाज की उन्होंने तारीफ की. अमित शाह ने कहा कि स्वामी प्रणवानंद के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. अगर आप उनके योगदान को देखें तो समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया है.
जहां तक सरकार का सवाल है तो हम सेवा आश्रम के प्रयासों के साथ खड़े हैं. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज जब हमारे सामने तरह तरह की मुश्किलें हैं और उसका सामने करने के लिए स्वामी जी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं.
अब सवाल यह है कि अमित शाह का यह दौरा क्यों खास है. इस सवाल के जवाब में जानकारों की राय बंटी है. कुछ वर्ग का कहना है कि दक्षिण 24 परगना इलाके में एक तरह अल्पसंख्यक समाज की तादाद ज्यादा है तो हिंदू समाज के ज्यादातर तीर्थस्थल हैं.
बंगाल की राजनीति में एक तरह से सामान्य धारणा रही है कि ममता बनर्जी तुष्टीकरण की राजनीति करती हैं और उसकी वजह से बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को बलि दी गई.
इसके अलावा दूसरा वर्ग है जिसका कहना है कि अगर आप बीजेपी की परिवर्तन यात्रा को देखें तो बंगाल के सभी तीर्थ स्थानों को यह छूते हुए निकल रही है. इसका अर्थ यह है कि बीजेपी हिंदु समाज को यह संदेश दे रही है कि वो हिंदु समाज के मानस को समझती है.