विशेष स्टोरी: भारत बढ़ती तो चीन घटती जनसंख्या से परेशान, शी जिनपिंग ने कहा, अब तीन बच्चे पैदा करो

Must read

- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -
- Advertisement -

बीजिंग|….आइए आज देश की राजनीति से निकलकर पड़ोसी देश चीन के महत्वपूर्ण आंतरिक मामलों को भी जान लिया जाए ‘चीन सरकार ने सोमवार को दो बच्चों की नीति को बदलते हुए दंपति को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी है’. इस चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले चीन के बारे में कुछ और भी जान लिया जाए.

ड्रैगन की ‘विस्तार वादी नीतियों’ की वजह से आज उसकी कई देशों के साथ ‘खटपट’ चली आ रही है. जहां कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका अब चीन पर सीधे आरोप लगा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी चीन के ‘वुहान लैब’ को लेकर आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि वुहान लैब से ही यह वायरस दुनिया भर के देशों में फैला है’.

चीन में जन्‍मदर में आई गिरावट और इसे सुधारने की कवायद के बीच इसे काफी अहम समझा जा रहा है. जन्मदर में कमी को देखते हुए चीन ने 2016 में एक बच्‍चा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए जोड़ों को दो बच्‍चे पैदा करने की अनुमति दी थी. लेकिन कई कारणों से यहां जन्‍मदर में सुधार नहीं हुआ. ऐसी कई रिपोर्ट्स भी सामने आई, जिसमें बताया गया कि चीन के युवा दंपति पेशेवर और कई अन्‍य कारणों से बच्‍चे नहीं चाहते. कामकाजी महिलाओं के लिए इसमें और भी मुश्किलें सामने आ रही हैं.

इन सबके बीच चीन ने अब बच्‍चा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए जोड़ों को तीन बच्‍चे पैदा करने की अनुमति दी है. चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अध्यक्षता में पोलित ब्यूरो की एक बैठक के दौरान इस बदलाव को मंजूरी दी गई.

यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब इस महीने की शुरुआत में चीन की एक दशक में एक बार की जाने वाली जनगणना से पता चला है कि यहां 1950 के दशक के बाद से पिछले दशक के दौरान जन्‍मदर की रफ्तार सबसे धीमी रही है. आंकड़ों के मुताबिक, अकेले 2020 में यहां प्रति महिला द्वारा बच्‍चों को जन्‍म देने की औसत दर 1.3 रही, जो जापान और इटली जैसे समाजों के अनुरूप हैं, जहां की एक बड़ी आबादी बुढापे की ओर अग्रसर है.

हाल ही में आई एक अन्‍य रिपोर्ट में चीन के जनसांख्‍य‍िकीय संरचना को लेकर कहा गया कि अगर युवाओं में बच्‍चे पैदा करने को लेकर यही रूझान जारी रहा तो साल 2022 तक चीन एक ‘उम्रदराज समाज’ होगा, जहां हर सात में से एक शख्‍स 65 वर्ष का होगा.

यह चीन के आर्थिक विकास के लिहाज से किसी भी तरह ठीक नहीं होगा और इसका सीधा असर सरकारी पेंशन फंड पर पड़ेगा. चीन की जनसांख्‍य‍िकीय संरचना को लेकर इसी तरह की चिंता बीते साल भी जताई गई थी, जब यहां जन्‍मदर में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. इसे चीन के 1961 के जन्‍म दर के जैसा बताया गया. ऐसे में चीन की परेशानी साफ समझी जा सकती है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

- Advertisement -
- Advertisement -spot_img

More articles

Latest article