भारत, अमेरिका, चीन-पाकिस्तान और रूस समेत दुनिया के तमाम देशों की निगाहें अफगानिस्तान में नई सरकार के गठन को लेकर लगी हुई हैं. वहीं कई देशों के आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में गठन होने वाली कट्टरपंथी और आतंकियों की सरकार के गठन को लेकर ‘खुशियां’ भी मना रहे हैं.
ईरान, पाकिस्तान, सीरिया, इराक के देशों में मौजूद आतंकवादी संगठन के नेताओं को तालिबानी सरकार के गठन के ‘जलसे’ में शामिल होने के लिए तमाम आतंकी संगठन काबुल पहुंच गए हैं.
दूसरी ओर तालिबान के बुलावे पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी काबुल पहुंचे हैं, ऐसे ही आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआईएस के शीर्ष नेताओं ने काबुल में डेरा डाल रखा है, दूसरी ओर पाकिस्तान के कई छोटे-बड़े कट्टरपंथी नेता भी तालिबान की शरण में जाने के लिए बेताब हैं.
यह सभी आतंकी संगठन तालिबान सरकार के नेतृत्व में ही अपना भविष्य देखने लगे हैं’. वहीं पाकिस्तान तालिबान को लगातार भारत के खिलाफ ‘भड़का’ रहा है. पहले तालिबान प्रवक्ता की ओर से भारत के साथ दोस्ती का ‘पैगाम’ भी दिया गया था लेकिन अब तालिबान ने कश्मीर का ‘राग’ अलापा . इस पर भारत सरकार ने ‘कड़ा एतराज’ जताते हुए जवाब भी दिया है.
‘केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि भारत संविधान का पालन करता है, यहां मस्जिदों में दुआ करते लोगों पर गोलियों और बम से हमला नहीं किया जाता, न लड़कियों को स्कूल जाने से रोका जाता है और न ही उनके सिर और पैर काटे जाते हैं’.
नकवी ने तालिबान से सीधे तौर पर कहा है कि भारत के मुसलमानों को छोड़ दें, उनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है. केंद्रीय मंत्री नकवी ने ये बात तालिबान के उस बयान के जवाब में कही हैं, जिसमें तालिबान के नेता की ओर से कहा गया था कि कश्मीर समेत दुनिया भर के मुसलमानों की आवाज उठाने का हक तालिबान को है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार