सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ 28 और 29 मार्च को देशव्यापी बंद का आह्वान किया है. इसकी वजह से सोमवार को बैंकिंग सर्विस प्रभावित रहा. मंगलवार को भी बंद के कारण बैंक से जुड़ा कामकाज ठप्प रह सकता है. क्योंकि अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ भी भारत बंद को अपना समर्थन दे रहा है. इसके अलावा रेल सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं.
खासकर पश्चिम बंगाल में वामपंथी पार्टियों से जुड़े ट्रेड यूनियनों ने रेलवे ट्रैक ब्लॉक किया. जाधवपुर रेलवे स्टेशन पर वामपंथी ट्रेड यूनियनों के सदस्यों ने ट्रैक पर धरना दिया. इसके कारण ट्रेनों का संचालन रुका रहा और यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. हालांकि, ममता बनर्जी सरकार ने भारत बंद का विरोध किया है और अपने सभी कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से ड्यूटी पर उपस्थित रहने का आदेश दिया है.
वामपंथी पार्टियों के प्रभाव वाले राज्यों पश्चिम बंगाल और केरल के कई शहरों में ट्रैफिक जाम रहा. ट्रेड यूनियन केंद्र सरकार की कुछ नीतियों को तुरंत बदले जाने की मांग कर रहे हैं. उनकी प्रमुख मांगों में श्रम संहिता को खत्म करना, किसी भी तरह के प्राइवेटाइजेशन को तुरंत रोकना, राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन यानी (एनएमपी) को खत्म करना, मनरेगा के तहत मजदूरी आवंटन के दिवसों को बढ़ाना और ठेका श्रमिकों को नियमित करना इत्यादि शामिल है.
ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने कहा, ‘हमने हड़ताल के इस आह्वान का समर्थन करने का फैसला किया है. हम इस हड़ताल में बैंकिंग क्षेत्रों की मांगों पर ध्यान दिलाने के लिए शामिल हो रहे हैं.’
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि बैंक यूनियन की मांग है कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण बंद करे और उन्हें मजबूत करे. इसके अलावा हमारी मांग है कि डूबे कर्ज की वसूली को तेज किया जाए, बैंक जमा पर ब्याज बढ़ावा जाए, सेवा शुल्कों में कमी की जाए और पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए. सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि हड़ताल की वजह से उसकी सेवाओं पर कुछ हद तक सीमित असर पड़ सकता है.