लखनऊ| बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 32 लोगों को बरी कर दिया है. अदालत ने माना कि वो घटना पूर्व नियोजित नहीं थी.
मौके पर जो नेता मौजूद थे वो कारसेवकों से संयमित व्यवहार बरतने की अपील कर रहे थे. बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को कपोलकल्पित करार दिया.
बता दें कि फैसले के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, लालकृष्ण आडवाणी के घर पहुंचे.
बाबरी मस्जिद केस में अदालत का ऐतिहासिक फैसला
बचाव के पक्ष के वकील ने कहा कि अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष की तरफ से जो दलील पेश किए गए उसमें मेरिट नहीं थी. अभियोजन पक्ष की तरफ से जो साक्ष्य पेश किए वो दोषपूर्ण थे.
और उस आधार पर सभी आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने माना की श्रद्धालुओं को कारसेवक मानना सही नहीं थी. सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों ने ढांचा तोड़ा उनमें और आरोपियों के बीच किसी तरह की सीधा संबंध स्थापित नहीं हो सका.
अदालत में क्या हुआ
जज एस के यादव ने कहा कि बाबरी विध्वंस केस पूर्व नियोजित नहीं थी. उन्होंने कहा कि सिर्फ फोटो दिखाना साक्ष्य नहीं हो सकता है. अभियोजन पक्ष की तरफ से दलीले कसौटी पर खरी नहीं उतरती हैं.
जज ने कहा कि फोटो दिखाने से कोई आरोपी नहीं हो जाता है. जज ने यह भी कहा कि सीबीआई की तरफ से जांच को जिन बिंदुओं पर केंद्रित किया गया वो अपने आप में दोषपूर्ण था.
आडवाणी, जोशी समेत कुल 6 आरोपियों को अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट मिली है, ये लोग वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालती कार्यवाही में शामिल हुए थे.
2500 पन्नों की चार्जशीट और 351 गवाह
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, महंत नृत्यगोपाल दास अदालती कार्यवाही में सशरीर मौजूद नहीं थे.
साध्वी ऋतंभरा, चंपत राय, साक्षी महाराज, ओम प्रकाश पांडेय, जय भगवान गोयल, आचार्य धर्मेंद्र देव, राम जी गुप्ता अदालत में मौजूद हैं.
सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को देखते हुए सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे. 2500 पन्नों की चार्जशीट, 351 गवाह और 17 साल तक चली गवाही.
6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था विवादित ढांचा
6 दिसंबर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले मामले में लाल कृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह समेत 49 आरोपी बनाए गए थे, जिसमें 17 लोगों की मौत हो चुकी है.
सीबीआई की अदालत ने 1 सितंबर तक मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी और 2 सितंबर से फैसला लिखने का काम शुरू हो गया था.