जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस सरोज यादव की अदलत ने फर्जी एनकाउंटर में शामिल उत्तर प्रदेश पुलिस के सभी 43 पुलिस वालों को सुनाई सजा हाई कोर्ट ने सभी दोषियों को 10 सिखों के फर्जी एनकाउंटर मामले में आईपीसी 304 के तहत 7 साल का कठोर कारावास और 10 हज़ार रुपए का जुर्माना सुनाया है.
1991 में पीलीभीत पुलिस ने 10 सिखों का खालिस्तानी गतिविधियों से जुड़े होने के मामले में किया था फर्जी एनकाउंटर, सिख किलिंग मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2016 में सभी आरोपी पुलिस वालों को IPC 120B,364,365,218 और IPC 117 में सुनाई थी सजा और ट्रायल कोर्ट के इसी आदेश को सभी अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में किया था चैलेंज, जिसपर हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी मानते हुए सुनाई 7 साल की कारावास और 10 हज़ार रुपए का जुर्माना सुनाया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस ऑफिसर का यह कर्तव्य नहीं है कि वह अपराधी बताकर हत्या करे पुलिस का दायित्व है कि वह अपराधी को गिरफ्तार करे और कोर्ट में मुकदमा चले 57 पुलिस कर्मियों पर 10 सिखों को आतंकी बताकर फेक एनकाउंटर करने का आरोप था
जानें क्या था ये मामला
पीलीभीत के कछाला घाट के पास पुलिस वालों ने सिख यात्रियों से भरी बस को रोका और 11 युवकों को उतारकर अपनी नीली बस में बैठा लिया. इनमें से दस की लाश मिली जबकि शाहजहांपुर के तलविंदर सिंह का आज तक पता नहीं चला, पुलिस ने मामले को लेकर पूरनपुर, न्यूरिया और बिलसंडा थाने में तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए थे, पुलिस ने इन मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.
10 आरोपी पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी
मुकदमे के ट्रायल के दौरान 10 आरोपी पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी, हाईकोर्ट ने हत्या की धारा 302 के आरोपों से पुलिसकर्मियों को रिलीज करते हुए IPC की धारा 304 के पार्ट वन के तहत दोषी माना.