उत्तर प्रदेश में एक बार फिर भाजपा समाजवादी पार्टी के बीच कुर्सी को लेकर शह-मात का खेल शुरू हो गया है. आपको बताते हैं यह कौन सी कुर्सी है जिसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आमने-सामने हैं. हम बात कर रहे हैं विधान परिषद सदन की.
अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के हुए चुनाव में 10 सीटें भाजपा ने तो 2 सीटों पर सपा ने कब्जा किया, इसके बावजूद विधान परिषद सदन में सपा का ही वर्चस्व कायम है. आज यानी 30 जनवरी को मौजूदा विधान परिषद के सभापति रमेश यादव का कार्यकाल पूरा हो रहा है.
यानी अब प्रदेश में विधान परिषद के सभापति का पद रिक्त हो जाएगा. सभापति बनाने को लेकर भाजपा सपा अपनी-अपनी दलील दे रहे हैं. बता दें कि उच्च सदन के सभापति रमेश यादव सपा प्रत्याशी के रूप में एमएलसी मनोनीत हुए थे.
सपा सरकार में उन्हें परिषद का सभापति चुना गया था. अब भी उच्च सदन में बहुमत समाजवादी पार्टी के पास ही है. इसलिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहते हैं कि सभापति का चुनाव हो और उस पर वह अपनी मर्जी का चेहरा चुन सके.
अखिलेश यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को पार्टी के विधान परिषद सदस्यों की बैठक सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी विधान परिषद में लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकती है. अखिलेश ने सभापति का चुनाव कराने के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मांग की है.
पिछले दिनों हुए विधान परिषद चुनाव में सपा ने वरिष्ठ नेता अहमद हसन को पांचवीं बार सदस्य बनाया हैैै. सपा हसन को उच्च सदन का सभापति बनाना चाहती है. ऐसे में सपा की पूरी कोशिश सभापति का चुनाव कराने या फिर परंपरा के अनुसार वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर मनोनीत कराने पर है.
बता दें कि चुनाव कराने के लिहाज से भी सपा के पास आंकड़ा है और प्रोटेम स्पीकर चुनने के लिए भी वरिष्ठ सदस्य के तौर पर अहमद हसन हैंं. अगर अभी चुनाव करवाया जाता है तो सपा का पलड़ा भारी रहेगा.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार