उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजे एक हो गए. चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव के बीच पिछले करीब 5 साल से टकराव चला रहा था. गुरुवार दोपहर बाद अखिलेश चाचा शिवपाल यादव से मिलने उनके घर पहुंचे. दोनों के बीच करीब 45 मिनट की बातचीत हुई.
उसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव की पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का एलान कर दिया. अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल के साथ तस्वीर ट्वीट कर गठबंधन का एलान किया. उन्होंने लिखा, प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाक़ात हुई और गठबंधन की बात तय हुई.
क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है. बीते दिनों से ही ऐसी अटकलें सामने आ रही थीं कि शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव एक बार फिर साथ आ सकते हैं.
अखिलेश ने कहा था कि शिवपाल यादव उनके चाचा है और समाजवादी पार्टी उनका सम्मान करेगी. शिवपाल यादव ने हाल में कई बयानों में यह कहा था कि वह समाजवादी पार्टी में अपनी पार्टी के विलय के लिए भी तैयार हैं और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की भी यही इच्छा है. गौरतलब है कि यादव परिवार में साल 2016 में मनमुटाव के बाद शिवपाल यादव ने 29 अगस्त 2018 को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना ली थी. अब फिर से उनकी घर वापसी की शुरुआत हो गई है .
वहीं चाचा भतीजा फिर से एक होने पर भाजपा ने कहा कि इसका चुनाव पर असर नहीं होगा . बीजेपी नेता और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि बीएसपी और समाजवादी पार्टी से बड़ा गठबंधन और नहीं हो सकता. जब वह गठबंधन धराशायी हो गया. सपा और कांग्रेस का गठबंधन भी कोई कमजोर गठबंधन नहीं था.
वह धराशायी हो गया तो छोटे-मोटे गठबंधन की बात करके आप तुलना क्यों कर रहे हैं. बता दें कि विधानसभा चुनाव को लेकर अखिलेश यादव की नजर छोटी पार्टियों पर है. पिछड़ी जातियों वाले दलों का महागठबंधन बनाकर अखिलेश बीजेपी को चुनौती देना चाहते हैं.
अब तक अखिलेश जयंत चौधरी के आरएलडी, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, केशव देव मौर्य के महान दल, संजय चौहान की जनवादी पार्टी से गठबंधन कर चुके हैं, अब अपने चाचा से भी बात बन गई है.