यूक्रेन में पल-पल बदलते हालात और गहराते तनाव के बीच 242 भारतीय दिल्ली लौट आए हैं. इनमें अधिकांश यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं हैं. अपनी मिट्टी में आकर जहां भारतीय छात्रों ने राहत की सांस ली है, वहीं उनके घरवालों के लिए भी यह बड़ा भावनात्मक संबल है, जो यूक्रेन पर रूस और अमेरिका की अगुवाई वाले नाटो के बीच बढ़ते तनाव से अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे.
यूक्रेन से भारत लौटे छात्रों ने बताया है कि आखिर वहां किस तरह का माहौल था और अब जब वे अपने वतन में हैं तो उनके एहसास क्या हैं? यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने दिल्ली लौटने के बाद वहां के हालात को बयां करते हुए कहा, ‘एक छात्र के तौर पर मुझे वहां (यूक्रेन) बहुत डर लगता था. अब यहां आकर मैं राहत महसूस कर रहा हूं.’
वहीं, यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे एक अन्य भारतीय छात्र शिवम चौधरी ने दिल्ली एयरपोर्ट पर कहा, ‘इस वक्त तक शांति थी, लेकिन तनाव लगातार बढ़ रहा था. ऐसे में हमने घर लौटने का फैसला किया और अब यहां आकर हम राहत महसूस कर रहे हैं.’
यूक्रेन से लौटी एक अन्य छात्रा ने रूस से तनावपूर्ण हालात के बीच देश वापसी पर खुशी जताते हुए कहा, ‘रूस-यूक्रेन में बढ़ते तनाव के बीच स्वदेश आकर खुश हूं. इस वक्त वहां हालात सामान्य हैं, लेकिन मेरे घरवाले चिंतित हो रहे थे और इसलिए मैंने वापस लौटने का फैसला किया.’
हरियाणा निवासी एक महिला ने अपनी बेटी के यूक्रेन से लौट आने के बाद राहत की सांस ली है. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि बच्चे बता रहे हैं, वहां इस वक्त सामान्य स्थिति ही थी. वे यूनिवर्सिटी भी जा रहे थे, लेकिन रूस और यूक्रेन में तनाव लगातार बढ़ रहा था और इसकी खबरें यहां देख रहे हैं तो हमें चिंता हुई कि आगे चलकर हालात और गंभीर हो सकते हैं. इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी बेटी को वापस बुलाने का फैसला लिया.’
यहां गौर हो कि रूस ने यूक्रेन के विद्रोही बहुल इलाकों दोनेत्स्क और लुगांस्क को स्वतंत्र राज्य के तौर पर मान्यता दी है. इसके साथ ही रूस की संसद ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मुल्क के बाहर भी सेना के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है, जिसके बाद से यहां तनाव और बढ़ गया है. रूस के इस फैसले के बाद अमेरिका और कई अन्य पश्चिमी व यूरोपीय देशों ने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है.
यूक्रेन में गहराते तनाव के बीच देश लौटे 242 भारतीय, अपनी मिट्टी में आकर ली राहत की सांस
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