लखनऊ| यूपी में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले है. जिस को लेकर सभी पार्टियां अलर्ट मोड में आ गयी हैं. एक तरफ बीजेपी (BJP) में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक बैठकों का दौरा जारी है तो वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया ने सभी छोटे दलों के साथ गठबंधन के रास्ते खोल दिए हैं.
इसके तहत यह माना जा रहा है कि बसपा के बागी नेता जल्द ही सपा का दामन थाम सकते हैं, लेकिन इस बीच ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने चुनाव में उतरने की तैयारी पूरी कर ली है. इसके लिए बकायदे ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने अपनी तरफ से विधायक कैंडिडेट के लिए आवेदन पत्र भी जारी कर दिया है. आवेदन पत्र के साथ वफादारी का कॉन्ट्रैक्ट भी शामिल किया गया है, जिसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है.
वफादारी के कॉन्ट्रैक्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि आवेदनकर्ता टिकट न मिलने की स्थिती में भी पार्टी के लिए ईमानादरी से काम करते हुए चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करेगा. हांलाकि, इस बीच आवेदनकर्ताओं को 10,000 की आवेदन फीस भी अदा करनी होगी, जिसे आवेदन शुल्क माना जा रहा है. चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं से आवेदनपत्र भरवाकर एक लिस्ट तैयार की जा रही है.
पार्टी सूत्र बताते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी ही टिकट पर अंतिम फैसला करेंगे. इसके लिए ओवैसी का जल्द ही यूपी दौरा प्रस्तावित है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली बताते हैं कि हमने यूपी की 100 मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर चुनाव लड़ने का मन मनाया है और इस बात को लेकर भी चर्चा हो चुकी है कि गठबंधन किससे किया जाए? हांलाकि, अभी तक इसपर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन हमारे लिए सपा और बसपा दोनों के दरवाजे खुले हुए हैं.
बता दें कि इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन 2017 के चुनाव में भी अपना हाथ आजमा चुकी है, लेकिन बुरी तरह असफल रही. ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने 2017 के विधानसभा चुनाव में 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें एक भी सीट पर सफलता हासिल नहीं हुई.
पार्टी को पूरे उत्तर प्रदेश में 2,05,232 वोट मिले जो कि कुल पड़े वोट का महज 0.2 प्रतिशत ही था. लेकिन पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली कुछ सीटों से उत्तर प्रदेश में उत्साह बढ़ा हुआ है. अब देखना ये होगा की पार्टी यूपी में मुस्लिम वोटों में सेंधमारी करने में कितनी सफल हो पाती है.
साभार-न्यूज़ 18