आज 26 दिसंबर है. एक बार फिर राजनीति के बाजार में हलचल है, इस बार पूर्वोत्तर राज्यों से ‘सियासी सौदे’ की आहट सुनाई दे रही है. बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले आपको बता दें कि आज नेताओं में अपने फायदे और स्वार्थ के लिए ‘दलबदल नीति अपनाना एक फैशन बनता जा रहा है’. यही वजह है कि आज की राजनीति में यह नया चलन खूब सफल भी हो रहा है.
अब बात आगे शुरू करते हैं. अभी पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की सियासत को ‘डगमगाने’ वाले भाजपा के कद्दावर नेता और गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर ‘सियासी मिशन’ पर पूर्वोत्तर के राज्यों में निकले हैं.
‘इस बार शाह दो दिन यानी आज और कल असम व मणिपुर में भगवाकरण की सियासत को और तेज करेंगे’. हालांकि गृहमंत्री ने इस सियासी दांव की राजधानी दिल्ली में ही बैठकर तैयार की है, असम में शाह को सिर्फ अमलीजामा पहनाना है.
बता दें कि अमित शाह शुक्रवार देर रात गुवाहाटी पहुंच गए. ‘इन राज्यों में दो दिन के दौरे पर पहुंचे अमित शाह बंगाल की तरह ही विपक्षी दलों केे नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के लिए काफी आक्रामक नीति अपनाए हुए हैं’. कोरोना महामारी और खराब स्वास्थ्य के चलते शाह की राजनीति में सक्रियता धीमी पड़ गई थी.
लेकिन अब ‘भाजपा के सबसे कुशल माने जाने वाले रणनीतिकार ने अगले साल कई राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए अभी से शह-मात का खेल खेलना शुरू कर दिया हैै’. बता दें कि पांच राज्यों में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने है, जिनमें पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी शामिल हैं.
पिछले बंगाल दौरे में अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता सुभेंद्र अधिकारी समेत कई नेताओं को भारतीय जनता पार्टी में शामिल करा एक बार फिर से बता दिया कि आज की राजनीति में वही सबसे बड़े किंगमेकर है.
अमित शाह के इस दांवपेच के बाद ममता बनर्जी बुरी तरह तिलमिलाई हुईं हैं. इस दौरान असम में 2021 विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस समेत कई विपक्षी विधायकों और नेताओं के भाजपा में शामिल होने की संभावना है। अपनी यात्रा के दौरान अमित शाह पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे और आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी की समीक्षा करेंगे.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार