आज देश की सियासत और मीडिया जगत में गुजरात सुर्खियों में है. इसकी वजह मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का अचानक ‘इस्तीफा’ देना रहा . इस बार भी हाईकमान ने रुपाणी की विदाई कर सभी को ‘चौंका’ दिया. कुछ महीनों पहले ही भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड में 4 महीने में दो मुख्यमंत्रियों को बदलने पर विपक्ष ने ‘सवाल’ उठाए थे. यही नहीं उसके बाद कर्नाटक में मुख्यमंत्री रहे बीएस येदियुरप्पा की भी ‘विदाई’ कर दी गई.
‘जब किसी मुख्यमंत्री का इस्तीफा लिया जाता है तो वजह जरूर होती है, हालांकि यह पूरी तरह से बाहर नहीं आती है सिर्फ अटकलों का दौर शुरू हो जाता है’. शनिवार दोपहर 3 बजे जब गुजरात के मुख्यमंत्री रुपाणी ने अपने पद से इस्तीफा दिया उसके बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया है.
दोपहर तक रुपाणी को लेकर कोई नहीं सोच रहा था कि वह कुछ देर बाद इस्तीफा देने वाले हैं, क्योंकि दोपहर करीब 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी दिल्ली से जब वर्चुअल (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) से अहमदाबाद में सरदारधाम भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में गुजरात से विजय रुपाणी भी शामिल हुए थे, लेकिन करीब 3 बजे रुपाणी ने अचानक मुख्यमंत्री के पद से ‘त्यागपत्र’ देकर सभी को चौंका दिया.
हालांकि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाने के लिए पीएम मोदी और अमित शाह के बीच पिछले कई दिनों से ‘मंथन’ चल रहा था. इसी को लेकर दो दिन पहले अमित शाह अचानक अहमदाबाद के दौरे पर भी गए थे.
‘गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद रुपाणी ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा में यह स्वभाविक प्रक्रिया है. मुझे 5 साल के लिए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली, जो मैंने पूरी की है’.
आपको बता दें कि राज्य में विधानसभा चुनाव से एक साल पहले अगस्त 2016 में मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को हटाकर 65 वर्षीय विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था . उसके बाद साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर शानदार जीत हासिल की.
रुपाणी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात में 182 सीटों में से 99 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया . 26 दिसंबर 2017 को विजय रुपाणी ने दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
गुजरात में साल 2022 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाला है जिसे लेकर अभी से ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. ऐसे में सिर्फ एक साल पहले मुख्यमंत्री के पद छोड़ने को लेकर कई ‘सवाल’ खड़े हो गए हैं.
गुजरात में 1995 से भाजपा की सरकार है, मोदी-शाह ने ‘मिशन 22’ की शुरू की तैयारी
बता दें कि साल 2014 में गुजरात से नरेंद्र मोदी के हटने के बाद बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है. मोदी और शाह गुजरात से आते हैं. ऐसे में वहां बीजेपी का कमजोर पड़ना बाकी राज्यों के लिए ठीक संकेत नहीं होगा.
साल 1995 से अब तक गुजरात में बीजेपी का शासन रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का यह गृह राज्य भी है ऐसे में वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं.
साल 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए विपक्ष कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी अभी से भाजपा को ‘चुनौती’ दे रहे हैं.
‘पीएम मोदी और पार्टी के रणनीतिकार माने जाने वाले अमित शाह नहीं चाहते कि गुजरात में भाजपा लंबे शासन के बाद सत्ता से बाहर हो जाए. इसीलिए विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नए चेहरे को गुजरात की कमान सौंपने की प्लानिंग की गई है’ .सभी बीजेपी विधायकों को आज रात तक गांधीनगर बुलाया गया, रविवार को नए मुख्यमंत्री का एलान और शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है.
कयास लगाए जा रहे हैं कि गुजरात में आधे दर्जन मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है . बता दें कि नए मुख्यमंत्री की रेस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल के नाम शामिल हैं.
इनमें स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया सबसे आगे बताए जा रहे हैं.मंडाविया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास हैं. हो सकता है भाजपा हाईकमान एक बार फिर से उत्तराखंड की तर्ज पर ही नया नाम लाकर सभी को चौंका दे.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार