अब बात करते हैं भाजपा हाईकमान की ‘नए सिरदर्द’ की. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बाद अब ‘मध्यप्रदेश शिवराज सरकार में भी गुटबाजी के स्वर खुलकर उभरने लगे हैं, शिवराज सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की हलचल शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच ‘टकराव’ बढ़ता जा रहा है.
‘इसका कारण यह है कि पिछले एक वर्ष से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी की बंगाल में सरकार बनाने के लिए कोलकाता की सियासी गलियारों में डेरा जमाए हुए थे, लेकिन भाजपा की हुई बंगाल में हार के बाद विजयवर्गीय अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश लौट आए. पिछले कई दिनों से वह भोपाल में शिवराज सरकार का ‘आत्ममंथन’ करने में लगे हुए हैं. वैसे भी इन दिनों कैलाश विजयवर्गीय के पास कोई खास काम भी नहीं है.
इन चर्चाओं की शुरुआत पिछले दिनों भोपाल में विजयवर्गीय की मौजूदगी से हुई है . वे भोपाल में पार्टी के अलग-अलग नेताओं से मिल रहे थे. इसके साथ ही आरएसएस और संगठन के बड़े नेता भी भोपाल में मीटिंग कर रहे थे . इसके साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी भोपाल में अलग-अलग नेताओं से चर्चा करने के बाद सीएम शिवराज से मुलाकात की थी. इसके साथ ही सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने भी भोपाल में कई नेताओं से मिले, इस दौरान केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल भी मौजूद रहे . इसके साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रभात झा ने भी पिछले दिनों ने नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की थी.
वहीं दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास पर भी बीजेपी नेताओं की बैठक हुई. इसके बाद एमपी शिवराज चौहान सरकार में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर ‘अटकलेें तेज हो गई. हालांकि कैलाश विजयवर्गीय ने अटकलों को भले ही खारिज कर दिया है लेकिन इतना जरूर है कि राजधानी भोपाल में इन दिनों ‘सियासी पारा’ चढ़ा हुआ है. बुधवार को एक बार फिर भोपाल में कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बीच तनातनी सामने आ गई. कैबिनेट के दौरान नर्मदा नदी के जल बंटवारे को लेकर नरोत्तम मिश्रा की राज्य के मुख्य सचिव से सवाल किए और नाराजगी जताई.
बता दें कि नर्मदा घाटी विकास मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास है और मीटिंग में शिवराज की मौजूदगी में ही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपनी आपत्ति जताई. बैठक के बाद नरोत्तम मिश्रा सीधे ही वहां से ‘नाराज’ होकर निकल गए. ‘नरोत्तम और शिवराज का पिछले साल से ही 36 का आंकड़ा चल रहा है. मध्य प्रदेश भाजपा के ब्राह्मण लॉबी में मिश्रा की अच्छी पकड़ मानी जाती है. इसके साथ वे संघ के भी करीबी हैं.
‘साल 2020 के मार्च महीने में भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मिलकर कमलनाथ सरकार गिरा दी थी. उसके बाद नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल थे. लेकिन शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद के पर काबिज हो गए थे, तभी से दोनों के बीच मनमुटाव चला रहा हैै. अब भाजपा हाईकमान के लिए आने वाले दिनों में एमपी की शिवराज सरकार में तालमेल बिठाना बड़ी चुनौती हो सकती है.
वैसे अब सच्चाई यह है कि राज्य सरकारें अपने-अपने पार्टी हाईकमान के फरमान को दरकिनार करने में लगी हुई हैं. इसका उदाहरण हम राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश में देख रहे हैं.