कुछ हार (पराजय) ऐसी होती हैं जिसे आसानी से लोग स्वीकार नहीं करते हैं, चाहे वह सियासत के मैदान में हो या निजी जीवन में हो. क्योंकि लोग ‘हार-जीत’ को अपनी प्रतिष्ठा और पावर से जोड़ लेते हैं.
आज हम आपसे जो चर्चा करने जा रहे हैं वह सीधे ही ‘लोकतंत्र को शर्मसार’ करने के साथ राजनीति में बढ़ती हिंसा का घिनौना चेहरा है. बता दें कि अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश है.
लेकिन वाशिंगटन के ‘संसद भवन’ पर राष्ट्रपति के उकसावे पर उनके समर्थक उपद्रवियों ने हथियारों के साथ लोकतंत्र की खुलेआम हत्या कर दी. इस घटना के बाद दुनिया के कई लोकतांत्रिक देशों पर इसका सीधा असर पड़ा है. ‘हम बात कर रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की.
अभी कुछ समय पहले ही दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार डोनाल्ड ट्रंप के सितारे आसमान पर थे, कई देश उनके नाम से डर और सहम जाते थे लेकिन आज वह फर्श पर पर हैं’.
डोनाल्ड की इस हिंसक राजनीति पर दुनिया उनका मजाक उड़ा रही है. इस अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद ही दुनिया के सामने किरकिरी करवा ली है, अब डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश में छिपते फिर रहे हैं. यही नहीं उनके समर्थकों के वाशिंगटन के सीनेट में हमले के बाद कई सांसद और संगठनों ने ट्रंप को पद से हटाने की मांग की है. नवंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप जो बाइडेन से बुरी तरह हार गए थे. लेकिन ट्रंप अपनी हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं. वे लगातार राष्ट्रपति चुनाव में धांधली को लेकर सवाल उठा रहे हैं.
यही नहीं उन्होंने कई बार हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उग्र रूप भी अपनाया. इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थक कई जगह उपद्रव भी मचा चुके हैं.
आगामी 20 जनवरी को जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की तैयारी डोनाल्ड ट्रंप को रास नहीं आ रही है. पिछले दिनों उन्होंने अपने समर्थकों से वाशिंगटन स्थित सीनेट (अमेरिकी संसद) का घेराव करने के लिए आह्वान किया था.
ट्रंप के इस आदेश के बाद हजारों समर्थकों ने खुलेआम हथियारों के साथ सीनेट पर कब्जा करने की कोशिश की, इस दौरान वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों को गोली भी चलानी पड़ी. इस गोलीबारी में चार लोगों ने अपनी जान भी गंवा दी.
डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों के मचाए गए उपद्रव के बाद दुनिया ने अमेरिका का इतिहास में सबसे खराब दौर देखा. इस हिंसा और उपद्रव को बढ़ावा देने के लिए डोनाल्ड सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्ष अमेरिका में हुई लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली घटना से स्तब्ध हैं.
वाशिंगटन के सीनेट में हुई हिंसा के लिए तमाम देशों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सीधेेेतौर कटघरे में खड़ा किया. कई देशों के नेताओं उन्हें हिंसात्मक राजनीति बढ़ावा देनेेे के आरोप लगाए हैं. वाशिंगटन में हुई हिंसा का असर भारत पर भी पड़ा है.
‘पीएम मोदी ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र के लिए दुखद बताया, अभी कुछ समय पहले तक पीएम मोदी डोनाल्ड ट्रंप को अपना सबसे अच्छा दोस्त कह कर दुनिया को संबोधित करते रहे थे, पीएम मोदी जब अमेरिका की यात्रा पर गए थे तब उन्होंने वहां ट्रंप के समर्थन में ‘हाउदी मोदी’ कार्यक्रम भी किया.
उसके बाद पिछले वर्ष फरवरी महीने में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की यात्रा की थी तब पीएम मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद को सजाने में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए थे. यही नहीं मोदी ने अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम से एक मंच पर ट्रंप के साथ संबोधित करते हुए उन्हें अपना दुनिया का सबसे अच्छा दोस्त बताया था, अब अमेरिकी राष्ट्रपति की हिंसात्मक राजनीति पर मोदी ट्रंप को अपना दोस्त कहेंगे ?
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार