देहरादून: हरक सिंह के बाद कर्मकार कल्याण बोर्ड से दमयंती रावत की भी विदाई

देहरादून| करीब तीन सौ करोड़ के बजट वाले कर्मकार कल्याण बोर्ड की बहुचर्चित सचिव दमयंती रावत की भी विदाई हो गई है. बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दमयंती रावत को कार्यमुक्त करने के आदेश जारी कर दिए.

उन्हें अपने मूल विभाग में योगदान देने को कहा गया है. इससे पहले शासन ने बीस अक्टूबर को बोर्ड का पुर्नगठन आदेश जारी करते हुए खुद बोर्ड के अध्यक्ष बनकर बैठे श्रम मंत्री को हटा दिया था. अब दमयंती रावत की भी बोर्ड से विदाई , श्रम मंत्री हरक सिंह रावत के लिए एक और झटका माना जा रहा है.

शिक्षा विभाग में बतौर खंड शिक्षा अधिकारी तैनात दमयंती रावत ने प्रतिनियुक्ति पर 27 दिसंबर 2017 को कर्मकार कल्याण बोर्ड में अपर कार्याधिकारी के पद पर ज्वाइन किया था.

अगले कुछ महीनों के भीतर ही उन्हें बोर्ड का काम चलाऊ सचिव बना दिया गया था. तब से वह सचिव के रूप में ही काम कर रही थीं.

दमयंती रावत को मंत्री हरक सिंह रावत का करीबी माना जाता है. यही कारण है कि शिक्षा विभाग द्वारा एनओसी न देने के बावजूद दमयंती रावत प्रतिनियुक्ति पर श्रम विभाग में काम कर आ रही थीं.

हरक सिंह रावत ने एक नहीं दो सरकारों में दो-दो शिक्षा मंत्रियों के अधिकार क्षेत्र में दखल देकर दमयंती रावत को अपने विभाग में रखा है.

दमयंती रावत मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात हैं. 2012 में जब उत्तराखंड में कांग्रेस सत्ता में आई तो हरक सिंह रावत कृषि मंत्री बने और इसके साथ ही कृषि विभाग में बकायदा विशेष कार्याधिकारी का पद सृजित कर उस पर प्रतिनियुक्ति पर लाई गई दमयंती रावत की ताजपोशी कर दी गई.

तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने दमयंती रावत की प्रतिनियुक्ति को एनओसी देने से मना कर दिया था लेकिन दमयंती रावत प्रतिनियुक्ति पर आ गईं और काम करने लगीं. कुछ समय बाद उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कृषि विभाग में उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया था.

2016 में सत्ता के समीकरण गड़बड़ाए और मंत्री हरक सिंह रावत को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ा तो इसका असर दमयंती रावत पर भी पड़ा.

नतीजा 2016 में बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण के डायरेक्टर पद से छुट्टी कर उन्हें मूल विभाग को वापस कर दिया गया लेकिन, दमयंती रावत ने एक साल दो महीने तक अपना मूल विभाग ही जॉयन नहीं किया.

कृषि विभाग से विदाई के बाद दमयंती रावत ने 10 जुलाई, 2017 को शिक्षा विभाग में जॉयनिंग दी. सवाल उठा कि एक साल दो महीने वे कहां गायब रही? इसके लिए शिक्षा विभाग ने उनको आरोप पत्र भी जारी किया था. 2017 में हरक सिंह रावत बीजेपी सरकार में श्रम मंत्री बने तो यहां भी कर्मकार कल्याण बोर्ड में दमयंती रावत के लिए अपर कार्याधिकारी का पद खोज लिया गया.

मंत्री हरक सिंह रावत पहले खुद बोर्ड के अध्यक्ष बने और फिर दिसंबर 2017 में एक बार फिर बिना शिक्षा विभाग की एनओसी के दमयंती रावत की अपर कार्याधिकारी कर्मकार कल्याण बोर्ड में तैनाती कर दी गई.

यहां भी कुछ महीने बाद जुलाई 2018 में उन्हें कार्यकारी सचिव पद पर तैनात कर दिया गया. इसी सचिव पद पर रहते हुए उन पर श्रमिकों के नाम पर मशीन, साइकिल आदि खरीदने में करोड़ों रुपये घोटाले के आरोप लग रहे हैं.

अब गुरुवार को कर्मकार कल्याण बोर्ड से मूल विभाग को रिलीव कर दिए जाने के बाद कई सवाल खड़े होने लगे हैं. सवाल यह कि 2017 से शिक्षा विभाग से बिना एनओसी के दूसरे विभाग में काम कर रही दमयंती रावत की क्या शिक्षा विभाग में चुपचाप वापसी हो जाएगी?

क्या दमयंती रावत पहले ही तरह ही स्थितियां ठीक होने का इंतज़ार करेंगी और खुद ही शिक्षा विभाग में जॉयनिंग नहीं लेंगीं? अगर वह शिक्षा विभाग को जॉयन करना चाहेंगी तो क्या शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे चुपचाप उन्हें वापस आने देंगे?

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