लेह| पैंगोंग झील पर चीन ने एक ‘अवैध’ पुल को अंतिम रूप देने के बाद चीन ने एक नई हरकत की है. चुशुल के सीमावर्ती क्षेत्र में चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में तीन नए मोबाइल टॉवर लगाए जाने की तस्वीरें सामने आई हैं.
भारत ने पहले कहा था कि उसके पड़ोसी द्वारा बनाया गया पुल 1962 से “अवैध कब्जे” वाले क्षेत्रों में स्थित है. भारत ने बीजिंग से नसंप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का आह्वान किया था.
लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद लेह के चुशुल से पार्षद कोंचोक स्टैंजिन ने मोबाइल टावर्स की तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘पैंगोंग झील पर पुल को पूरा करने के बाद, चीन ने भारतीय क्षेत्र के बेहद नजदीक हॉट स्पि्रंग में 3 मोबाइल टावर स्थापित किए हैं.
क्या यह चिंता का विषय नहीं है? हमारे पास मानव बस्ती गांवों में 4 जी सुविधाएं भी नहीं हैं. मेरे 11 गांवों में निर्वाचन क्षेत्र में कोई 4 जी सुविधा नहीं है.’ चुशुल संयोग से पैंगोंग झील के दक्षिण में स्थित है, वास्तविक नियंत्रण रेखा गाँव से लगभग आठ किमी पूर्व में स्थित है.
इससे पहले इस साल फरवरी में, विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में कहा था कि भारत ने लद्दाख के पास के क्षेत्रों पर चीन के ‘अवैध’ कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘सरकार ने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर बनाए जा रहे एक पुल पर ध्यान दिया है. इस पुल का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं.’
हाल ही में, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को एक कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि अगर नुकसान हुआ तो भारत किसी को भी नहीं बख्शेगा. उन्होने कहा, ‘मैं खुले तौर पर यह नहीं कह सकता कि उन्होंने (भारतीय सैनिकों) ने क्या किया और हमने (सरकार) क्या निर्णय लिए. लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि (चीन को) एक संदेश गया है कि अगर भारत को नुकसान हुआ तो भारत किसी को नहीं बख्शेगा.’