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बयां की मन की बात: बाबुल सुप्रियो के राजनीति से संन्यास के बाद बंगाल में भाजपा की और कम हुई ताकत

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आज पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की सियासी ताकत और कम हो गई. राज्य में पार्टी के स्टार प्रचारक रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद बाबुल सुप्रियो ने अचानक राजनीति से अपने आपको अलग कर लिया.

भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो के राजनीति से संन्यास लेने की अटकलें कई दिनों से गर्म थीं और आज आखिरकार उन्होंने इस बात पर मुहर लगा दी. यहां आपको बता दें कि इसी महीने 7 जुलाई को हुए मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार से ठीक पहले बाबुल सुप्रियो से केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा ले लिया था. मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद से ही बाबुल नाराज बताए जा रहे थे.

पिछले कुछ दिनों से बाबुल की चुप्पी और भाजपा में उनकी कम होती भूमिका पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे. अब उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट के जरिए उन तमाम विवादों पर विराम लगा दिया है. सांसद सुप्रियो ने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखकर अपने आप को राजनीति से अलग कर लिया. सुप्रियो ने लिखा कि मैं तो जा रहा हूं ‘अलविदा’. बाबुल सुप्रियो ने इस बात का भी जिक्र किया है कि वे बहुत पहले से पार्टी छोड़ना चाहते थे.

वे पहले ही मन बना चुके थे कि अब राजनीति में नहीं रहना है. उन्होंने लिखा कि मैंने सबकी बात सुनी, माता-पिता, पत्‍नी, बेटी, सबकी. सामाजिक कार्य करना है तो बिना राजनीति के भी कर सकते हैं . उन्होंने कहा है कि चुनाव से पहले पार्टी संग मेरे कुछ मतभेद थे. वो बातें चुनाव से पहले ही सभी के सामने आ चुकी थीं. हार के लिए मैं तो जिम्मेदारी लेता ही हूं, लेकिन दूसरे नेता भी जिम्मेदार हैं. इसके साथ ही कहा कि वह एक महीने के भीतर अपना सरकारी आवास छोड़ देंगे.

उनकी इस घोषणा के बाद उनके प्रशंसकों में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. बता दें कि भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो ने बीते शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट फेसबुक पर एक के बाद एक कई पोस्ट की थीं. जिसमें उन्होंने राजनीति को छोड़ने के संकेत दिए थे. उसके एक दिन बाद सुप्रियो ने राजनीति छोड़ने का एलान कर दिया है.

बता दें कि बंगाल के आसनसोल से बीजेपी सांसद राजनीति में आने से पहले बेहद प्रसिद्ध प्‍लेबैक सिंगर थे. उन्होंने बांग्ला और हिंदी फिल्मों में कई मशहूर गीत गए हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में उन्‍हें पार्टी ने कोलकाता की टॉलीगंज सीट से मैदान में उतारा था पर वह जीत हासिल करने में नहीं सफल रहे. इसके कुछ दिन बाद ही उनसे केंद्रीय मंत्री पद से इस्‍तीफा मांग लिया गया उसके बाद से पार्टी नेतृत्‍व से नाराज बताए जा रहे थे.

गौरतलब है कि बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद मुकुल रॉय समेत कई नेता भाजपा छोड़कर टीएमसी में जा चुकेेे हैंं . दूसरी ओर मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भी राष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को स्थापित करने के लिए लगी हुईं हैं. पिछले दिनों दिल्ली के पांच दिनी दौरे पर ममता ने कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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