काबुल|…. अफगानिस्तान में तालिबानी राज आते ही देश छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने भी अब अफगानियों को धोखा दे दिया है. हशमत गनी ने कथित तौर पर तालिबान से हाथ मिलाया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, हशमत गनी ने तालिबानी नेता खलील-उर-रहमान और धार्मिक नेता मुफ्ती महमूद जाकिर की उपस्थिति में आतंकवादी समूह के लिए अपने समर्थन की घोषणा की है.
अशरफ गनी इस समय अपने परिवार के साथ संयुक्त अरब अमीरात में हैं. काबुल न्यूज ने बुधवार को कई ट्वीट कर जानकारी दी थी कि काबुल से भागने के बाद गनी यूएई के अबू धाबी में सेटल हो गए हैं. पहले वह पड़ोसी देश ताजिकिस्तान गए थे लेकिन यहां उनके विमान को लैंडिंग की अनुमति नहीं दी गई. गनी ने बाद में अपने देश छोड़कर जाने का बचाव भी किया और कहा कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था और वह ‘देश के भविष्य के लिए विकास योजनाओं में योगदान देना जारी रखेंगे’.
अशरफ गनी पर आरोप लगे कि वह तालिबान को काबुल सौंपने के बाद 15 अगस्त को चार कार और एक हेलीकॉप्टर में ढेर सारा कैश भरकर देश से भाग गए. सोमवार को रूसी दूतावास की प्रवक्ता निकिता इशचेंको ने बताया था, ‘शासन का पतन… यही बात बताती है कि कैसे गनी अफगानिस्तान से भाग गए. चार कारें पैसे से भरी हुई थीं, उन्होंने पैसे के दूसरे हिस्से को हेलीकॉप्टर में डालने की कोशिश की, लेकिन सबकुछ उसमें फिट नहीं हुआ. और कुछ पैसा नीचे भी गिर गया.’ हालांकि गनी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने बाद में खुद देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि संविधान के अनुसार, अगर राष्ट्रपति अनुपस्थित रहे, उनकी मौत हो जाए या फिर वो इस्तीफा दे दें, तो उनकी गौर मौजूदगी में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है.
सालेह ने तालिबान को लेकर कहा है कि जंग अभी खत्म नहीं हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि वह अभी पंजशीर प्रांत में ही हैं और तालिबान के खिलाफ विद्रोह की तैयारी कर रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय मुजाहिद्दीन लड़ाकों ने कुछ तालिबानियों को मार गिराया है और समूह से पुल-ए-हेसार, देह सलाह और बानु जिलों को वापस ले लिया है.