पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की खबर पूरे दुनिया भर में छाई हुई है. इसके साथ सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान में हर रोज होने वाली नई-नई घटनाओं के फोटो और वीडियो खूब देखे जा रहे हैं. भारत समेत दुनिया के कई देश अपने नागरिकों को निकालने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर अपने विमानों से स्वदेश लाने में लगे हुए हैं. आज हम बात करेंगे अफगानिस्तान के ‘पूर्व आईटी मिनिस्टर की’.
बात को आगे बढ़ाने से पहले यह भी जान लेते हैं कि ‘कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता है’. भले ही हमारे देश में छोटे काम करने वालों को अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता लेकिन यूएस और यूरोप के देशों में सभी काम समान होते हैं. अब बात को आगे बढ़ाते हैं.
‘कुछ महीनों पहले तक अफगनिस्तान में राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में आईटी मंत्री रहे सैयद अहमद शाह सादात पिछले कुछ दिनों से अपने काम को लेकर दुनिया में सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं, पूर्व आईटी मंत्री सादात जर्मनी में इन दिनों एक पिज्जा बनाने वाली कंपनी के लिए साइकिल से घर-घर ‘डिलीवरी ब्वॉय’ की नौकरी कर रहे हैं’.
पिछले वर्ष तक ‘शान-ओ-शौकत’ की जिंदगी जीने वाले सादात इस काम में भी खुश हैं. उनके पास टेक्निकल के क्षेत्र में उच्च डिग्री भी है. सादात ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री ली है, साथ ही वो इलेक्ट्रिकल इंजीनियर भी हैं. सैयद अहमद शाह ने दुनिया भर के 13 बड़े शहरों में 20 वर्षों तक बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम भी किया है.
पिछले साल तक जब वे अशरफ गनी सरकार में आईटी मिनिस्टर थे तब उन्हें देश में कम्युनिकेशन के क्षेत्र में अच्छे काम करने के लिए सराहा गया था. हालांकि वे अफगानिस्तान में मंत्री के तौर वे करीब दो साल तक ही रह सके.
अशरफ गनी से मनमुटाव के चलते सादात ने अपना वतन अफगानिस्तान छोड़ दिया था
यहां हम आपको बता दें कि सैयद अहमद शाह सादात को अफगानिस्तान में तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार में साल 2018 में आईटी और कम्युनिकेशन मिनिस्टर बनाया गया . नवंबर 2020 में अशरफ गनी के ‘मतभेदों’ के चलते सादात ने ‘इस्तीफा’ दे दिया था.
जिसके बाद वे अपने परिवार के साथ जर्मनी में बस गए थे. जर्मनी आकर सादात में कई जगह नौकरी तलाश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. ‘इस देश में सबसे बड़ी समस्या उनकी भाषा की रही. उन्हें जर्मन भाषा न आने की वजह से यहां बड़ी कंपनियों में काम नहीं मिल सका’.
अब वह जर्मनी के लीपजिग शहर में डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं. ‘सैयद अहमद शाह सादात ने बताया कि शुरुआत में मुझे इस शहर में रहने के लिए कोई काम नहीं मिल रहा था क्योंकि मुझे जर्मन भाषा नहीं आती है, पिज्जा डिलीवर का काम फिलहाल मैं सिर्फ जर्मन भाषा सीखने के लिए भी कर रहा हूं’. सादात ने कहा कि वह जर्मनी में खुश हैं और सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
यहां वे अपने परिवार के साथ ‘सादा जीवन’ बीता रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह एक जर्मन कोर्स करना चाहते हैं और आगे पढ़ना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने कई नौकरियों के लिए आवेदन किया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
वे भविष्य में जर्मन टेलीकॉम कंपनी में काम करना चाहते हैं. ‘फिलहाल अच्छा हुआ सादात मौजूदा समय में जर्मनी में रहकर पिज्जा डिलीवरी का काम कर रहे हैं क्योंकि उनके मुल्क तालिबान के कब्जे के बाद दहशत के मारे लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं, बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी सहित कई बड़े नेता अफगानिस्तान छोड़कर अलग-अलग देशों में शरण ले चुके हैं’.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार