सोमवार को कोर्ट की अवमानना केस में वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है. उन्होंने मामले में माफी मांगने से फिर इनकार कर दिया है. उन्होंने सफाई में कहा कि उनकी ओर से किया गया ट्वीट अदालत और संविधान की रक्षा के लिए था.
प्रशांत भूषण ने कहा कि वह उनका विचार था और वह उस पर कायम हैं. प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अपने विचारों को व्यक्त करने पर सशर्त अथवा बिना किसी शर्त माफी मांगना ठीक नहीं होगा. उन्होंने अदालत से कहा कि दिखावे की माफी मांगना मेरे अन्तःकरण की और एक संस्था की अवमानना के समान होगा.’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अवमानना के मामले में मंगलवार को सुनवाई होनी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भूषण को दो दिन सोचने का समय दिया था कि अगर वह अपने ट्वीट पर दोबारा विचार करना चाहते हैं.
इसके बाद सोमवार को प्रशांत भूषण ने नया हलफनामा दाखिल कर माफी मांगने से फिर इनकार कर दिया है. भूषण ने दो अलग-अलग ट्वीट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर टिप्पणी की थी. उन पर सरकार के साथ मिलकर कोर्ट की गरिमा खत्म करने का आरोप लगाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है. अब उनको इसकी सजा सुनाया जाना है. सजा सुनने से पहले कोर्ट ने उन्हें आखरी मौका देकर माफी मांगने को कहा था. लेकिन भूषण ने जवाब में कहा कि माफी मांगना गलत होगा. उनका मकसद कोर्ट या किसी जज की छवि खराब करना नहीं था.
इससे पहले कार्यकर्ता वकील प्रशांत भूषण की अवमानना मामले में सजा पर सुनवाई को टालने या फिर किसी दूसरी पीठ को स्थानांतरित करने के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह उनके प्रति निष्पक्ष रहेगा और दोषसिद्धि को लेकर दायर उनकी पुनर्विचार याचिका पर जब तक फैसला नहीं हो जाता सजा प्रभावी नहीं रहेगी.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा था, ‘अगर हम किसी तरह की सजा देने का फैसला करते हैं तो हम आपको आश्वासन देते हैं कि वह तब तक अमल में नहीं आएगी जबतक पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं हो जाता. परेशान मत होइये, हम आपके प्रति निष्पक्ष रहेंगे, भले ही आप हमारे प्रति उचित न रहे हों.’
If I retract a statement before this court that I otherwise believe to be true or offer an insincere apology, that in my eyes would amount to contempt of my conscience & of an institution that I hold in highest esteem: Prashant Bhushan’s supplementary reply in contempt case https://t.co/HDzCm9jhGS
— ANI (@ANI) August 24, 2020