नई दिल्ली| भारत में कोरोना वैक्सीन कब तक आएगी? सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने इसे लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी है.
अदार पूनावाला ने कहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविड-19 वैक्सीन के लिए इमरजेंसी लाइसेंस के लिए अप्लाई कर सकता है, जो यूनाइटेड किंगडम में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के उम्मीदवारों के परीक्षण के परिणामों पर आधारित है.
अदार पूनावाला ने कहा कि अभी तक कोई सुरक्षा चिंता नहीं है, लेकिन वैक्सीन के लॉन्ग टर्म प्रभावों को समझने में 2-3 साल लगेंगे.
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के सीईओ ने बताया कि शॉट को सस्ती दर पर लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा और इसे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में शामिल करने की कोशिश भी की जाएगी.
पूनावाला ने कहा कि इस साल के आखिर तक कोविड-19 की वैक्सीन तैयार करने के बारे में किसी तरह की टिप्पणी जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा इसकी वैक्सीन इम्युनोजेनिक और प्रभावोत्पादक साबित करने में परीक्षणों की सफलता पर निर्भर करता है.
यदि हम इमरजेंसी लाइसेंस के लिए अप्लाई नहीं करते हैं, तो जनवरी तक हमारा ट्रायल समाप्त हो जाना चाहिए और फिर हम यूके ट्रायल के लिए जनवरी में भारत में लॉन्च कर सकते हैं.
उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में वैक्सीन का अडवांस ट्रायल चल रहा है. अगर ब्रिटेन ने डेटा साझा किया तो इमर्जेंसी ट्रायल के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय में आवेदन किया जाएगा.
मंत्रालय से मंजूरी मिलने पर वही टेस्ट भारत में भी किया जा सकता है. पूनावाला ने कहा, अगर ये सभी सफल रहा तो दिसंबर के मध्य तक भारत के पास कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है.
अदार पूनावाला ने कहा, वर्तमान आंकड़ों से पता चलता है कि इस वैक्सीन (कोविशिल्ड) से संबंधित कोई चिंता नहीं है.
अब तक, हजारों लोगों ने इसे भारत और विदेशों में बिना सुरक्षा चिंताओं के साथ रखा है. हालांकि, वैक्सीन के लंबे प्रभावों क्या हैं इसका पता लगाने में 2 से 3 साल लगेंगे. उन्होंने कहा ये 2 खुराक वाली वैक्सीन होगी, जिसका डोज 28 दिनों के अंतराल में दिया जा सकता है.
हम वैक्सीन की लागत के बारे में सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं और इसकी पुष्टि भी जल्द होनी है. अदार पूनावाला ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन काफी सस्ती होगी.
इस प्रश्न के जवाब पर अदार पूनावाला ने कहा, कोरोना महामारी वैश्विक बंद का कारण बनी है, इसलिए इस बीमारी के लिए एक टीके का महत्व दिखाया है. मेरा मानना है कि इसे यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत लाया जाना चाहिए.