बुधवार को सचिवालय में जल जीवन मिशन की प्रगति समीक्षा करते हुए अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में नालियों से गुजरने वाली पुरानी पाइपलाइन की जांच के भी निर्देश पेयजल विभाग एवं जल संस्थान को दिए. एसीएस ने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि जल जीवन मिशन के सम्बन्ध में सेंक्शनड डीपीआर तथा पूर्ण कार्यो के बीच गैप नही रहना चाहिए. इस सम्बन्ध में उन्होंने अधिकारियों को प्रो-एक्टिव मोड पर कार्य करने के लिए कहा.
रतूड़ी ने राज्य के गांवों, स्कूलों, आंगनबाड़ियों तथा अन्य सामुदायिक संस्थानों में फील्ड टेस्टिंग किट्स के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की टेस्टिंग को प्रोत्साहित करने के निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिए. उन्होंने अधिकारियों से थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों के कार्यों की भी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने के लिए कहा.
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में अभी तक जल जीवन मिशन के तहत फंक्शनल हाउसहोल्ड टेप कनेक्शन (एफएचटीसी) के मामलों में राज्य में 73.80 प्रतिशत कवरेज है. इसके तहत 14, 94, 304 हाउसहोल्ड हैं. राज्य के तीन जिलों में यह 90 से 100 प्रतिशत है. हर घर जल वाले कुल गांव 2546 हैं. राज्य में जल जीवन मिशन के तहत कुल अनुमोदित डीपीआर 16337 हैं, जिनमें से 9771 योजनाएं पूरी हो चुकी है, जिनकी लागत 1058.29 करोड़ रूपये है.
हर घर जल सर्टिफिकेशन के तहत कुल 2546 गांव दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 65 गांवों को सर्टिफाइड कर दिया गया है. उत्तराखण्ड में कुल 15029 विलेज वाटर एंड सेनिटेशन कमेटी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिनमें से 15024 कमेटी बना दी गई हैं, जो कि लक्ष्य का 99.97 प्रतिशत है. राज्य में 19249 स्कूलों में शुद्ध जल आपूर्ति का लक्ष्य है, जिसमें से 19118 स्कूलों में आपूर्ति सुनिश्चित कर दी गई हैं, जो कि लक्ष्य का 99.32 प्रतिशत है.
राज्य में कुल 16473 आंगनबाड़ियों में जल आपूर्ति का लक्ष्य है, जिसमें से 16407 आंगनबाड़ियों आपूर्ति सुनिश्चित हो चुकी है, जोकि लक्ष्य का 99.60 प्रतिशत है. राज्य में कुल 27 लैब्स हैं. बैठक में सचिव पेयजल डॉ. नितेश कुमार झा, अन्य उच्चाधिकारी तथा विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे.