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उत्तराखंड: नैनीताल के जंगलों में लगी भीषण आग हुई बेकाबू, बढ़ रहा खतरा

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सांकेतिक फोटो

नैनीताल| गर्मियां शुरू होते ही नैनीताल समेत कुमाऊं भर के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. नैनीताल के बलदियाखान, ज्योलिकोट, मंगोली, खुरपाताल, देवीधुरा, भवाली, भीमताल मुक्तेश्वर समेत आसपास के जंगलों में इन दिनों भीषण आग लगी है, जिससे अमूल्य वन संपदा जलकर खाक हो रही है तो वहीं दूसरी ओर वायुमंडल और इंसानों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

जंगल आग उगल रहे हैं. वनाग्नि के कारण चारों तरफ धुआं छाया हुआ है, जिससे हवा में पीएम 2.5 के स्तर में करीब पांच गुना बढ़ोत्तरी हो गई है, 20 से 25 रहने वाला पीएम 2.5 सौ के ऊपर पहुंच गया है. इन हालातों ने वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है.

15 फरवरी से 15 जून तक का फायर सीजन प्रदेश के जंगलों के लिए बेहद संवेदनशील होता है. शीतकाल में यदि अच्छी वर्षा और बर्फबारी हो जाए तो जंगलों में आग लगने की अवधि पीछे खिसक जाती है. मगर इस वर्ष वर्षों और बर्फबारी की बेरुखी के परिणाम गर्मी की शुरुआत में ही नजर आने लगे हैं.

अप्रैल की शुरुआत से ही अनियंत्रित रूप से सामने आ रही वनाग्नि की घटनाओं ने वन विभाग की चिंता बढ़ा दी हैं. बीते वर्ष नवंबर से अब तक प्रदेश में 350 से अधिक वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे पहाड़ों पर चारों और धुआं छाया हुआ है. एरीज के पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि वनाग्नि की तेजी से बढ़‌ती घटनाओं से वायु प्रदूषण में लगातार वृद्धि ही रही है. आग लगने के बाद उत्सर्जित होने वाले तमाम कारकों के कारण हवा में पीएम 2.5 के स्तर में करीब पांच गुना तक बढ़ोत्तरी ही गई है.


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