भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह पर जंतर मंतर पर समुदाय विशेष के खिलाफ की गई थी विवादित नारेबाजी मामले में बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय को जमानत मिल गई है. जमानत पटियाला हाउस कोर्ट ने 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर दी है.
मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट में बताया कि अश्विनी उपाध्याय और इनके साथ मौजूद लोगों को पुलिस ने निर्देश दिए थे लेकिन इन्होंने उसका उल्लंघन किया और एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ नारेबाजी की व आपत्तिजनक टिप्पणियां भी कीं.
वहीं उपाध्याय के वकीलों ने पुलिस के आरोपों को नकार दिया. वहीं कोर्ट ने उपाध्याय के वकील की ओर से पुलिस को भेजे ईमेल और मीडिया में दिए बयान की जानकारी भी देने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान उपाध्याय के वकीलों ने कोर्ट को जानकारी दी कि जब मौके पर कथित नारेबाजी हो रही थी उस दौरान अश्विनी मौके पर मौजूद नहीं थे.
वकील ने कहा कि ऐसे में उनके खिलाफ कोई भी मामला नहीं बनता है. वहीं अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि जिस जगह पर ये लोग जमा हुए थे वो संसद के पास मौजूद है. 15 अगस्त से पहले इस तरह की भीड़ जान कर की गई और इन्होंने पुलिस की बात नहीं मानी.
अभियोजन पक्ष ने कहा कि ये सभी बिना पुलिस की इजाजत के वहां पर जमा हुए. इसके बाद जब भड़काऊ नारे लगे तो आयोजकों ने पुलिस को इस बारे में सूचना नहीं दी. मौके पर शूट हुए एक वीडियो के वायरल हो जाने के बाद पुलिस को इसकी जानकारी मिली. वहीं अश्विनी के वकील ने कहा कि उनका नारे लगाने वालों से कोई नाता नहीं है और वे उन्हें पहचानते तक नहीं हैं.
कोर्ट ने कहा कि केवल लोगों को दिखाने के लिए कि पुलिस ने कार्रवाई की है अश्विनी को गिरफ्तार किया गया है. अश्विनी ने खुद मीडिया में कहा था कि जिन लोगों ने नारे लगाए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो. अभियोजन पक्ष ने पास अश्विनी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.