देहरादून| केंद्र सरकार ने भले ही शर्तों के साथ 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोलने की अनुमति दे दी है लेकिन उत्तराखंड में अभी इस पर स्थिति साफ़ नहीं है.
राज्य का शिक्षा विभाग बच्चों की सुरक्षा को प्रथम मानते हुए यह साफ़ कर चुका है कि ज़मीनी हकीकत की पड़ताल के बाद ही स्कूल खोले जाने पर फ़ैसला लिया जाएगा.
शिक्षा मंत्री के निर्देश पर सभी ज़िलों के डीएम स्कूल खोले जाने की परिस्थितियों पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.
प्राइवेट स्कूल्स भी अब अभिभावक को मैसेज और मेल भेजकर फीडबैक लेने लगे हैं. आपको जानकर अचरज हो सकता है कि 90 फ़ीसदी अभिभावक ने बच्चों को स्कूल भेजने से साफ़ इनकार कर दिया है.
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के निर्देश के बाद सभी जिले के डीएम जिले के हालातों को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.
प्राइवेट स्कूल्स भी अभिभावक से स्कूल खोलने को लेकर मेल और मैसेजेस भेजकर स्कूल खोलने को लेकर राय मांग रहे है हालांकि अभिभावक की राय इससे अलग है.
बहुत सेअभिभावक कह रहे हैं कि स्कूल राय नहीं मांग रहे बल्कि स्कूल प्रबंधन बच्चों को अपने रिस्क पर स्कूल भेजने को कह रहा है. इस पर अभिभावक ने हाथ खड़े कर दिए हैं.
उत्तराखंड अभिभावक एसोसिएशन की सचिव भूमिका यादव कहती हैं कि स्कूल खुलेंगे तो बच्चों के लिए रिस्क है इसलिए एसोसिएशन से जुड़े अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते.
हालांकि उत्तराखंड में प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन भी रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं. प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष देवेंद्र मान कहते हैं कि फिलहाल 3 महीने स्कूल नहीं खोला जाना चाहिए.
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को जब यह बात बताई गई तो उन्होंने कहा कि अभी बात की जा रही है अगर पेरेंट्स नहीं चाहेंगे तो बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा. बच्चों की जान से बढ़कर कुछ भी नहीं है.
अब जबकि न स्कूल रिस्क लेने को तैयार हैं और न ही पेरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजना चाह रहे हैं. ऐसे में 15 अक्टूबर के बाद स्कूल खोलने का फैसला उत्तराखंड में साकार हो पाएगा, ऐसा होना फिलहाल मुश्किल लग रहा है.