उत्‍तराखंड

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से लगभग रू. 700 करोड़ की धनराशि का अनुमोदन

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य सेवाओं के विकास एवं विस्तार के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से लगभग रू. 700 करोड़ की धनराशि का अनुमोदन किया गया है. यह धनराशि गत वर्ष की तुलना में लगभग रू. 200 करोड़ अधिक है, जिसके अन्तर्गत तकनीकी मानव संसाधन की कमी दूर किए जाने को प्राथमिकता प्रदान की गयी है.

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का आभार व्यक्त करते हुए अधिकारियों को महिला और मातृत्व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये हैं.

स्वास्थ्य सचिवअमित नेगी ने बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में 400 ए0एन0एम0, 150 स्टॉफ नर्स, 500 कम्युनिटी हैल्थ ऑफिसर्स, 13 डिस्ट्रिक्ट कोऑडिनेटर्स, 21 सुपरवाईजर्स (टी0बी0 उन्मूलन योजना के अन्तर्गत) रखे जायेगें. इसके अतिरिक्त जनपद पौड़ी में 05, चमोली में 02 तथा टिहरी व उत्तरकाशी में 1-1 आर0बी0एस0के0 टीम नियुक्त की जायेगी.

स्वास्थ्य सचिव ने भारत सरकार द्वारा दी गयी स्वीकृतियों की विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध की गयी है, जिनका विवरण निम्नवत् हैं-

1.मातृत्व स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 54 डिलीवरी प्वाईंट एवं 29 एफ0आर0यू0 को सुदृढ़ किया जायेगा एवं 05 नई एफ0आर0यू0 हरिद्वार, उत्तरकाशी, पौड़ी, ऊधमसिंहनगर तथा टिहरी जनपदों के लिए स्वीकृत की गयी है.

2.समुदाय स्तर पर होने वाली मातृ मृत्यु की सूचना देने वाले प्रथम व्यक्ति को रू. 1000/- की प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.

3.प्रसव उपरान्त जच्चा-बच्चा को घर तक छोड़ने के लिए 94 खुशियों की सवारी को विभिन्न अस्पतालों पर उपलब्ध किया जायेगा, जिस हेतु लगभग रू 10 करोड़ स्वीकृत किया गया है. 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाओं के संचालन हेतु लगभग रू. 41 करोड़ तथा 17 मोबाईल मेडिकल यूनिट संचालित करने के लिए रू. 4.18 करोड़ अनुमोदित किया गया है.

4.वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राज्य के 28 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर फिजियोथैरेपी की सेवाओं को सुदृढ़ किया जायेगा तथा इन चिकित्सा इकाईयों पर फिजियोथैरेपिस्ट नियुक्त किए जायेगें.

5.मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल से संबंधित सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियों को रोकने के लिए बचाव संबंधित गतिविधियां किए जाने का अनुमोदन प्राप्त हुआ है.

6.प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के अन्तर्गत बागेश्वर, चमोली, चम्पावत, टिहरी एवं उत्तरकाशी के गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों को अब डायलिसिस की सेवाएं जिला अस्पताल पर उपलब्ध हो पायेंगी. प्रत्येक जनपद की डायलिसिस यूनिट में 03 मशीनें उपलब्ध रहेंगी.

7.नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में महिला चिकित्सालय पिथौरागढ़ में सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट (SNCU) की स्वीकृति दी गयी है तथा चिकित्सालयों पर इस सेवा को सुदृढ़ करने के लिए 64 स्टॉफ नर्सी की भर्ती की जायेगी.

8. शहरी स्वास्थ्य मिशन को भी भारत सरकार द्वारा प्राथमिकता प्रदान की गयी है तथा राज्य के 05 जनपदों क्रमशः देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल व ऊधमसिंहनगर में 38 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों संचालन की स्वीकृति प्रदान की गयी है. इन केन्द्रों पर हैल्थ एण्ड वैलनेस सेन्टरों पर दी जाने वाली सेवाएं भी उपलब्ध रहेंगी तथा 11 इकाईयां सरकार द्वारा एवं 27 इकाईयां लोक निजी सहभागिता के अन्तर्गत संचालित होंगी. इस वर्ष सरकारी क्षेत्र में संचालित होने वाली 02 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को कायाकल्प अवार्ड हेतु भी नामित किया जायेगा.

9. निःशुल्क जांच सेवा के लिए रू. 6 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है, जिसके अन्तर्गत गढ़वाल एवं कुमायूं मण्डल में निजी लैब को आउटसोर्स के माध्यम से विभिन्न प्रकार की जांचों के लिए अनुबंधित किया जायेगा.

10. राज्य में रक्तकोषों के सुदृढ़ीकरण के लिए रू. 5.28 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गयी है.

11. टीकाकरण कार्यक्रम के सुदृढीकरण के लिए रू.17.58 करोड़ की धनराशि का अनुमोदन दिया गया है.

12. भारत सरकार द्वारा वायरल हेपेटाईटिस पर नियंत्रण, बचाव एवं उपचार के लिए दवाईयों के साथ-साथ रेपिड जांच किट तथा प्रयोगशाला संबंधित सामग्री के लिए लगभग 02 करोड़ का अनुमोदन दिया गया है.

13. टी0बी0 उन्मूलन कार्यक्रम के लिए लगभग रू. 14 करोड़ की धनराशि मरीजों के उपचार एवं प्रबंधन हेतु स्वीकृत की गयी है. इसके अन्तर्गत लोक निजी सहभागिता के माध्यम से निजी क्षेत्र में टी0बी0 मरीजों के उपचार पर होने वाले व्यय का वहन भी किया जायेगा.

14. डेंगू, मलेरिया से बचाव हेतु एंटीजन किट क्रय करने और अस्पतालों के स्तर पर निरन्तर रोग निगरानी हेतु भारत सरकार द्वारा बजट की व्यवस्था की गयी है.

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