देहरादून| उत्तराखंड को इस साल मार्च से लेकर जुलाई महीने तक जीएसटी कलेक्शन में करीब 2900 करोड़ का नुकसान हुआ है.
साल 2019 के मार्च से जुलाई तक के आंकड़ों से तुलना की जाए तो यह नुकसान 42.2 फ़ीसदी है.
खास बात यह है कि ये आकंड़े मार्च में कोरोना की शुरुआत से लेकर जुलाई तक के हैं. इस अवधि में कारोबार पूरी तरह ठप रहा है.
इस दौरान सामान के प्रोडक्शन, डिमांड, सप्लाई और सेल में कमी आई, तो टूरिज़्म सेक्टर, होटल इंडस्ट्री अब भी मुश्किल से जूझ रहे हैं. इसका सीधा नुकसान जीएसटी में हुआ है.
राज्य सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि इंटीग्रेटेड जीएसटी के नुक़सान की भरपाई 2025 तक केंद्र सरकार करेगी.
रही बात स्टेट जीएसटी में नुकसान की तो अनलॉक के साथ धीरे-धीरे हालात में सुधार होगा.
कांग्रेस की चिंता यह है कि इस नुकसान की भरपाई कहीं पहले से ही कर्ज़ में डूबे राज्य को और कर्ज़ लेकर न करनी पड़े.
विपक्ष के नेता कहते हैं कि इस मुश्किल वक्त में डबल इंजन यानी केंद्र से मदद मिलनी चाहिए.
कहीं ऐसा ना हो कि इस आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए लोन लेना पड़े.
गुरुवार को सीएम रावत ने साल 2020-21 के लिए धान खरीद की तैयारियों की समीक्षा की.
सीएम ने कहा कि धान खरीद की सभी तैयारी वक्त पर पूरी कर ली जाएं.
धान खरीद के लिए 242 केंद्र बनाए जाएंगे. सरकार ने इस बार धान खरीद के लिए 10 लाख मीट्रिक टन का टार्गेट रखा है.
मीटिंग में तय हुआ कि इस साल ए ग्रेड धान के लिए किसान को 1888 रुपये प्रति क्विंटल जबकि औसत धान के दाम 1868 रुपये प्रति क्विंटल दिए जाएंगे.
सीएम ने निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को धान की भुगतान समय पर हो.
इसके लिए शुरुआती भुगतान की व्यवस्था को-ऑपरेटिव विभाग करेगा.
सीएम ने कहा कि किसानों का डाटा बेस तैयार किया जाए और धान क्रय केंद्रों पर किसानों की सुविधा का ध्यान रखा जाए.