कोरोना के बढ़ते कहर के बीच सबकी निगाह इस बात पर टिकी है कि क्या 21 सितंबर से 9वीं से लेकर 12वीं तक के स्कूल खोले जाएंगे. कुछ राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, हरियाणा और आंध्र प्रदेश स्कूल खोल रहे हैं.
लेकिन कर्नाटक, गुजरात और हिमाचल प्रदेश ने स्कूल खोलने से साफ मना कर दिया है और अब उसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने स्कूलों को पांच अक्टूबर तक नहीं खोले जाने का फैसला किया है.
सरकार का कहना है कि कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों को पांच अक्टूबर तक बंद करने का फैसला लिया गया है.
अगर दिल्ली सरकार के सर्कुलर को देखें तो टीचर्स और स्टाफ को स्कूल बुलाया जा सकता है. दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी, वित्तपोषित, प्राइवेट और एमसीडी समेत दिल्ली के सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वो इस सर्कुलर के बारे में पैरेंट्स और स्टूडेंट्स के साथ अध्यापकों को कॉल/एसएमएस या अन्य माध्यमों से जानकारी दें.
बता दें कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से स्कूल खोले जाने के बारे में अभिभावकों से राय ली थी. गूगल फॉर्म के जरिए पैरेंट्स से उनकी राय मांगी गई. बड़ी बात यह है कि छोटी कक्षा हो या बड़ी ज्यादातर अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल भेजने से इनकार किया है.
दिल्ली के ही एक स्कूल के 65% माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के खिलाफ थे, जबकि महज 15 फीसद ही सहमत थे. रोहिणी में 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों में से 75% के माता-पिता ने कहा कि वे अपने बच्चों को स्कूलों में नहीं भेजना चाहते हैं.
अभिभावकों का कहना है कि जिस तरह से कोरोना पांव एक बार फिर पसार रहा है उस हालात में बच्चों को स्कूल भेजना किसी भी सूरत में सही नहीं होगा.