उत्तराखंड के जंगलों में भड़क रही आग पर नैनीताल हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है. कोर्ट ने कहा है कि आग अगर हर साल लगती है तो सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठती? हाईकोर्ट ने कहा कि इस आग के धुएं से कोरोना मरीजों को भी दिक्कतें हो सकती हैं.
इतना ही नहीं आग को नियंत्रण करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं इसके बारे में कोर्ट ने पूछा है. आपको बता दें कि सोमवार को आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की भी मदद ली गई.
हाईकोर्ट फॉरेस्ट फायर को लेकर गंभीर दिखा और चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट को तलब किया है. उन्हें कल यानी बुधवार को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.
वहीं आग बुझाने में हेलीकॉप्टर से ली जा रही मदद की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी साझा किया जिसमें भारतीय वायु सेना के एमआई हेलीकॉप्टर टिहरी झील से पानी लेने के बाद उड़ान भरते दिखाई दिए.
प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से रविवार को मदद की गुहार लगाई थी जिसके बाद उन्होंने तत्काल दो हेलीकॉप्टर भेजे थे.
प्रदेश को हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए शाह ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी उत्तराखंड भेजी जाएंगी.
वन विभाग के आंकडों के अनुसार, इस ‘फायर सीजन’ में चार अप्रैल तक वनाग्नि की 983 घटनाएं हुई हैं जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल जिले वनाग्नि से अधिक प्रभावित है जिसे काबू करने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हुए हैं जबकि 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं.