हरिद्वार| हिंदू धर्म में प्राचीन समय से हवन, यज्ञ आदि करने की प्रथा है. जब भी कोई शुभ कार्य होता है, तो यह किया जाता है. हवन-यज्ञ करते समय स्वाहा शब्द का उच्चारण आहुति देते समय किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति शुभ कार्य करता है या फिर कोई गाड़ी, प्रॉपर्टी या अन्य सामान खरीदता है, तो घर में हवन-यज्ञ किया जाता है, जिसमें परिवार के सदस्य एकत्रित होकर आहुति देते हैं और आहुति देते समय स्वाहा शब्द बोला जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोई भी सामग्री स्वाहा शब्द के जरिए अग्नि देव के माध्यम से देवताओं तक पहुंचने का एकमात्र साधन है. धार्मिक कथाओं और ग्रंथों में स्वाहा शब्द को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, स्वाहा अग्नि देव की पत्नी हैं. जब व्यक्ति हवन-यज्ञ करता है, तो स्वाहा अग्नि देव के माध्यम से देवताओं तक उस सामग्री को पहुंचाने का कार्य करती हैं. हिंदू धर्म में स्वाहा का विशेष स्थान बताया गया है. हवन-यज्ञ करते समय स्वाहा शब्द क्यों बोला जाता है और इसका हिंदू धर्म में क्या महत्व है इन सवालों को लेकर हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी ने बताया
इस कारण बोला जाता है स्वाहा
वह बताते हैं कि हिंदू धर्म में कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने के लिए हवन या यज्ञ किया जाता है. देवताओं का वास ऊपर आकाश में है और जब अग्नि प्रज्वलित की जाती है, तो वह भी आकाश की ओर ही होती है, जिसका मुख्य उदाहरण है कि जब कोई व्यक्ति मोमबत्ती जलाता है, तो उसकी अग्नि ऊपर की ओर होती है. वैसे ही जब हम देवी देवताओं के निमित्त कोई हवन-यज्ञ करते हैं, तो स्वाहा बोला जाता है. स्वाहा अग्नि देव की पत्नी होने की वजह से उस सामग्री को देवी देवताओं तक पहुंचाती हैं, जिस कारण मनुष्य को उस यज्ञ का पूरा फल प्राप्त होता है.
ब्रह्मा जी जी ने अग्नि देव को उपासना करने के लिए कहा था
वहीं एक दूसरी कथा के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति के समय भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी पर कई प्रकार के जीव और मानवों को उत्पन्न किया था. ब्रह्मा जी ने मानव के लिए धरती पर अन्न की उत्पत्ति भी की. जब एक बार पृथ्वी पर अन्न का अभाव हो गया, तो ब्रह्मा जी ने मनुष्य को अग्नि देव और स्वाहा की उपासना करने के लिए कहा. जिसके बाद पृथ्वी पर लोगों द्वारा हवन-यज्ञ किया गया. इससे धरती पर जल की उत्पत्ति हुई और जल से अन्न की उत्पत्ति हुई, इसलिए हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले हवन, यज्ञ आदि किया जाता है और उसमें आहुति डालते समय स्वाहा कहा जाता है. स्वाहा के माध्यम से हवन यज्ञ में डाली गई आहुति अग्नि देव के माध्यम से देवताओं तक पहुंच जाती है, जिससे व्यक्ति को उसका पूरा फल प्राप्त होता है.