सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने बुधवार को उत्तराखंड में तैयार हो रहे समान नागरिक संहिता (UCC) पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार की जा रही यूनिफॉर्म सिविल कोड सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करेगी, लैंगिक समानता को बढ़ावा देगी और आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक असमानताओं से लड़ने में मदद करेगी.
न्यायमूर्ति देसाई उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए मार्च 2022 में गठित विशेषज्ञों की समिति का नेतृत्व कर रही हैं. पूर्व न्यायाधीश ने राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले उत्तराखंडवासियों से प्रस्तावित यूसीसी पर सुझाव मांगने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम ऐसा मसौदा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हर किसी, हर धर्म के लोगों को पसंद आए.’’
यह संहिता राज्य में बीजेपी द्वारा किया गया एक चुनावी वादा है. उन्होंने कहा कि समिति महिलाओं, बच्चों और विकलांगों के हितों की रक्षा पर मुख्य रूप से ध्यान देने के साथ-साथ विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संरक्षकता, अभिरक्षा और उत्तराधिकार सहित कई मुद्दों के लिए समान नागरिक संहिता लाने की सिफारिशें करेगी. न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, “हम महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम लैंगिक समानता के लिए काम कर रहे हैं. हमें लगता है कि अगर हमारे मसौदे को स्वीकार कर लिया जाता है तो यह हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को मजबूत करेगा. हम ऐसा चाहते हैं और हम इसे हासिल कर लेंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम शादी, तलाक, उत्तराधिकार, संरक्षकता, अभिरक्षा और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों से निपटने का प्रस्ताव करने जा रहे हैं, जो आम लोगों के जीवन को छूते हैं और मुझे पूरा यकीन है कि यह (प्रस्ताव) लोगों और राज्य को भी स्वीकार्य होगा.’’ पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक बार जब हमारे पास समान नागरिक संहिता होगी, तो हम आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक असमानताओं से बेहतर तरीके से लड़ने में सक्षम होंगे.’’
न्यायमूर्ति देसाई ने कहा कि समिति जल्द ही आएगी उत्तराखंड के लिए यूसीसी के अंतिम मसौदा जारी करेगी. उन्होंने कहा, “मैंने और समिति के सदस्यों ने धार्मिक नेताओं सहित उत्तराखंड के कई लोगों से मुलाकात की है. विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों के प्रतिनिधि हमसे मिले हैं.’’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परामर्श के दौरान समिति ने समान नागरिक संहिता के लिए ‘जबरदस्त समर्थन’ महसूस किया. उन्होंने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करेंगे कि (संहिता से) हर कोई … सभी धार्मिक समूह खुश रहें. मैं आपसे वादा करती हूं कि यह सभी को स्वीकार्य होगा. अधिकांश लोग इसके पक्ष में हैं.”
यूसीसी समिति के सदस्य और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता के गठन से समुदायों की परंपराओं में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘पारंपरिक रीति-रिवाजों को संरक्षित किया जाएगा.’ समिति के सदस्यों ने कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों से समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए उठाए गए कई मुद्दों पर अपने विचार और सुझाव व्यक्त करने के लिए कहा, जिसमें विवाह की न्यूनतम आयु, तलाक, बहुविवाह, बहुपतित्व, गोद लेने, लिव-इन रिलेशनशिप और एलजीबीटीक्यू आदि शामिल हैं.
कई प्रतिभागियों ने समिति से उत्तराखंड के मूल निवासियों के हितों की रक्षा के प्रावधानों पर विचार करने का आग्रह किया. सिंह ने कहा कि अब तक सार्वजनिक परामर्श के दौरान लोगों ने तलाक की प्रक्रिया को सरल बनाने और ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ को विनियमित करने का सुझाव दिया है.