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वर्ल्ड टूरिज्म डे विशेष: सैर-सपाटा के साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करने में पर्यटन स्थलों की अहम भूमिका

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घूमने-फिरने के शौकीनों के लिए आज का दिन किसी ‘पर्व’ (त्योहार) से कम नहीं है. धार्मिक, पौराणिक, दर्शनीय स्थलों, हरे भरे पहाड़, झरने, वादियां समुद्री बीच, ऐतिहासिक इमारतें, सेंचुरी पार्क आदि की याद आते ही हरेक के मन में ताजगी का अहसास होने लगता है. ‘पर्यटन एक ऐसी यात्रा है जो मनोरंजन या फुरसत के क्षणों का आनंद उठाने के उद्देश्यों से की जाती है’. बात शुरू करते हैं हिंदी के साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन की प्रसिद्ध पंक्ति से, ‘सैर कर ले दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां, गर जिंदगानी रही तो नौजवानी फिर कहां’. सांकृत्यायन की यह लाइनें घुमक्कड़ों के लिए लिखी गई है. आज 27 सितंबर है. हर साल इस दिन ‘विश्व पर्यटन दिवस’ मनाया जाता है. सही मायने में यह दिन सैलानियों और पर्यटन स्थलों के लिए समर्पित रहता है. साथ ही ऐसे देश जो पर्यटन उद्योग पर ही निर्भर हैं, उनके लिए यह दिन किसी ‘उत्सव’ से कम नहीं है.

भारत में भी कई ऐसे राज्य हैं जिनकी ‘आमदनी’ का बड़ा जरिया पर्यटन ही है। भारत अपने ऐतिहासिक और प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पूरे विश्व में मशहूर है. हमारे देश में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा समेत कई राज्य देश और विदेशी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं. पर्यटन किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है. लोगों को पर्यटन का महत्‍व समझाने के लिए इसे एक दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी.

इस दिन लोगों को ग्‍लोबल कम्‍युनिटी और टूरिज्‍म पर होने वाले इवेंट्स के प्रति जागरूक किया जाता है, ताकि लोग पर्यटन के महत्व को समझ सकें. ये विकासशील देशों के लिए आय का मुख्य स्रोत भी है. केंद्र या राज्य सरकारें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर नई नीतियां बनाती रहीं हैं. कोरोना महामारी से पर्यटन उद्योग ने देश ही नहीं पूरी दुनिया भर में सबसे अधिक नुकसान उठाया और अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा गंवाया. सरकारों की लगाई गई पाबंदी से देश के पर्यटन स्थलों पर बिना सैलानियों के महीनों वीरानी छाई रही. अब कुछ समय से इन स्थानों पर रौनक दिखाई देने लगी है.

वर्ष 1980 से दुनिया भर में मनाया जा रहा है विश्व पर्यटन दिवस

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वर्ष 1980 से 27 सितंबर को ‘विश्‍व पर्यटन दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया था. इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य यह था कि पर्यटन दिवस के महत्व के साथ ही प्रत्‍येक वर्ष आम जन को विभिन्न तरीकों से जागरूक करने को अलग-अलग ‘थीम’ रखा जाए.
बता दें कि इस वर्ष थीम ‘इनक्लूसिव ग्रोथ के लिए पर्यटन’ है. इसका उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों की हर संभव मदद करना है. आज के समय में जहां हर देश की पहली जरूरत अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है वहीं पर्यटन के कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था पर्यटन उद्योग के इर्द-गिर्द घूमती है.

भारत के लिए पर्यटन का खास महत्व होता है। देश की पुरातात्विक विरासत या संस्कृति केवल दार्शनिक स्थल के लिए नहीं होती है इसे राजस्व प्राप्ति का भी स्रोत माना जाता है और साथ ही पर्यटन क्षेत्रों से कई लोगों की रोजी-रोटी भी जुड़ी होती है. नदियों, झीलों, जल प्रपातों के किनारे दुनियाभर में कई पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है. भारत में पर्यटन का गौरवशाली इतिहास रहा है. प्राकृतिक विविधता एवं रंगी संस्कृत यहां के पर्यटन स्थल दुनिया भर में एक अलग पहचान देते हैं. ऐतिहासिक किले और महल स्थापित कला के महत्वपूर्ण केंद्र है. लोक संगीत, लोक नृत्य, मेले और वैभवशाली धरोहर पर्यटकों को अपनी ओर सहज ही आकर्षित कर लेते हैं. पर्यटन सिर्फ हमारे जीवन में खुशियों के पल को वापस लाने में ही मदद नहीं करता है बल्कि यह किसी भी देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ समय ऐसा जरूर निकालना चाहिए जिससे वो अपनी विरासताें, ऐतिहासिक इमारतों, पर्यटन स्थलों और धरोहराें को सहेज लें और खुशियों को फिर से गले लगा सके.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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