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वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे: दुनिया को ‘नया सवेरा’ दिखाने वाला चौथा स्तंभ आज भी पाबंदियों में जकड़ा हुआ

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आज कलम की आजादी का दिन है. दुनिया भर में ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) मनाया जा रहा है. हर साल 3 मई को यह दिवस मनाया जाता है. ‌किसी भी देश के उदय और उसकी प्रगति में प्रेस की अहम भूमिका रही है. वहीं प्रेस की आजादी से यह बात साबित होती है कि उस देश में ‘अभिव्यक्ति’ की कितनी स्वतंत्रता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य प्रेस की आजादी, सम्मान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करना है. ‌लेकिन आज भी विश्व के तमाम देशों में प्रेस की आजादी पर पाबंदियां लगी हुईं हैं. हाल के कुछ समय में कोरोना संक्रमण काल, तालिबानों का अफगानिस्तान पर कब्जा, रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में प्रेस जटिल चुनौतियों में रहकर दमदार भूमिका निभा रहा है. लोकतंत्र व्यवस्था में ‘चौथा स्तंभ प्रेस’ आज भी अपनी आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहा है.

बता दें कि भारत की भी लोकतांत्रिक व्यवस्था दुनिया में सबसे मजबूत मानी जाती है. लेकिन प्रेस की आजादी की रैंकिंग में सुधार नहीं हो सका है. भारत में प्रेस की स्वतंत्रता ‘मौलिक’ जरूरत है. प्रेस की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है. आज कई देश ऐसे भी हैं जहां भारत से भी प्रेस की आजादी की खराब स्थिति है. चीन, उत्तर कोरिया, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार में हालात और भी बदतर हैं. दुनिया के कई मुल्‍कों में प्रेस यानि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित रखा जाता है. ऐसा अक्सर देश के प्रति खतरे के नाम पर किया जाता है। आज प्रेस और उसके अन्य आधुनिक स्वरूप जिसे मीडिया भी कहा जाता है, की अहमियत जितनी है उतनी पहले कभी नहीं हुआ करती थी. इंटरनेट के जमाने में भी कई देशों की व्‍यवस्‍था ने मीडिया पर ऐसी पाबंदियां लगाकर रखा है, जिसे प्रेस की आजादी बाधित होती है.

सरकारों पर चौथे स्तंभ को दबाने के भी आरोप लगते रहे हैं. स्वतंत्रता सूचकांक 2021 की लिस्ट जारी की गई थी. 180 देशों में भारत 142वें स्थान पर है. पिछले साल भी अपना देश 142वें पायदान पर रहा था. इस लिस्ट में नॉर्वे शीर्ष पर बरकरार है. नॉर्वे पिछले पांच सालों से पहले स्थान पर है. इसके बाद फिनलैंड और डेनमार्क दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. इरीट्रिया सूचकांक के सबसे निचले स्थान, 180 वें स्थान पर है. इस सूची में उत्तरी कोरिया 179वें, तुर्कमेनिस्तान 178वें और चीन 177वें स्थान पर हैं. जर्मनी 13वें जबकि अमेरिका एक पायदान नीचे खिसककर 44वें स्थान पर है.

साल 1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस आजादी के लिए की थी शुरुआत

साल 1991 में अफ्रीका के कुछ पत्रकारों ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की पहल शुरू की थी. तीन मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों से संबंधित एक बयान जारी किया था जिसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है. 3 मई को हर वर्ष ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे’ के तौर पर मनाया जाता है. यूनेस्को की आम सम्मेलन की सिफारिश के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया था. तब से 3 मई को विंडहोक की घोषणा की सालगिरह को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रेस किसी भी समाज का आइना होता है. विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को मानाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का जश्न मनाने के साथ दुनिया भर में इसकी स्थिति का आकलन करना, साथ ही हमलों से मीडिया की रक्षा करना और उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने कर्तव्य के चलते अपना जीवन खो दिया है. विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे यूनिस्को का मकसद सरकारों को यह याद दिलाना है कि उन्हें प्रेस की आजादी के प्रति प्रतिबद्धता के सम्मान करने की जरूरत है. यह मीडियाकर्मी, पत्रकारों को प्रेस की आजादी और व्यवासायिक मूल्यों की याद करने का भी दिन है. यह दिन मीडिया के उन लोगों के समर्थन के लिए है जो प्रेस और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए काम करते हुए विरोध और जुल्म का शिकार हुए हैं.

–शंभू नाथ गौतम

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