ताजा हलचल

विश्व स्वास्थ्य दिवस: पीपीपी मॉडल के जरिए सरकारी अस्पतालों के निजीकरण पर उठे सवाल

विश्व स्वास्थ्य दिवस: पीपीपी मॉडल के जरिए सरकारी अस्पतालों के निजीकरण पर उठे सवाल

​विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और चिकित्सकों ने सरकारी अस्पतालों के निजीकरण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के माध्यम से जिला अस्पतालों को निजी संस्थाओं को सौंपे जाने पर चिंता व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह प्रवृत्ति देखी गई है, जहां जिला अस्पतालों का प्रबंधन निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है। ​

जन स्वास्थ्य अभियान (JSA), जो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर काम करने वाले संगठनों और व्यक्तियों का एक नेटवर्क है, ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और 18 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और स्वास्थ्य मंत्रियों को एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च को GDP के 2.5% तक बढ़ाने, स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण को रोकने, सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने, और खाद्य सुरक्षा, स्वच्छ पेयजल, रोजगार, और महिलाओं की सुरक्षा जैसे स्वास्थ्य के प्रमुख निर्धारकों को सुनिश्चित करने की मांग की गई है। ​

विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में PPP मॉडल का उपयोग मिश्रित परिणाम देता है। कुछ मामलों में इससे सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जबकि अन्य मामलों में यह मरीजों की देखभाल और कर्मचारियों की नौकरियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उदाहरण के लिए, मुंबई में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के अस्पतालों में PPP मॉडल लागू करने के फैसले के खिलाफ कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया है, क्योंकि इससे कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है और मरीजों की देखभाल प्रभावित हो सकती है।

Exit mobile version