आज बात करेंगे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की । राज्यपाल मलिक रविवार को काफी समय बाद अपने होम टाउन उत्तर प्रदेश के बागपत आए थे । यहां वे एक स्थानीय इंटर कॉलेज में आयोजित अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए । बात को आगे बढ़ाएं उससे पहले हम आपको बता दें कि बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर सहारनपुर और आसपास क्षेत्र ऐसे हैंं, जहां किसानों के सहारे ही सभी राजनीतिक दलों की सत्ता मजबूत होती रही है ।
कोई भी पार्टी यहां किसानों को नाराज करना नहीं चाहती । पश्चिम उत्तर प्रदेश का ‘जाटलैंड’ क्षेत्र कृषि कानून को लेकर केंद्र की मोदी सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ रहा है । भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी इसी क्षेत्र से आते हैं । अब बात करते हैं मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की ।
अपने अभिनंदन समारोह में राज्यपाल मलिक ने जो बयान दिया है उससे भाजपा सरकार की ‘नींद’ जरूर उड़ गई होगी । रविवार को कार्यक्रम के दौरान मंच से सत्यपाल मलिक कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का खुलेआम पक्ष लेते हुए नजर आए ।
राज्यपाल ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को किसानों की बात मान लेनी चाहिए, इनको नाराज नहीं करना चाहिए’ । किसानों के समर्थन में अपनी राय रखते हुए मलिक ने कहा कि दिल्ली से किसान खाली हाथ न आ जाए यह भी केंद्र सरकार को ध्यान रखना होगा।
मलिक ने सबसे बड़ा बयान दिया कि पिछले महीने जब ‘राकेश टिकैत की दिल्ली बॉर्डर पर गिरफ्तारी हो रही थी तब उन्होंने ही रुकवाया था’। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है केंद्र सरकार को किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानून देना चाहिए। सरकार किसानों के साथ ज्यादती न करें उनकी जायज मांगे मान लें। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि मैं भी किसान परिवार से आता हूं तभी देशभर के किसानों की समस्याएं और तकलीफें भली-भांति जानता हूं ।
इस दौरान वहां उन्होंने कहा, किसानों की समस्या हल कराने के लिए जहां तक जाना पड़ेगा जाऊंगा।कार्यक्रम में मौजूद भाजपा के तमाम नेता राज्यपाल मलिक के बयान से जरूर असहज दिखाई दिए। इससे पहले भी राज्यपाल मलिक किसानों के समर्थन में खड़े हुए थे ।
केंद्र को किसानों की आवाज दबानी नहीं चाहिए बल्कि उनकी चिंता सुननी चाहिए
दो महीने पहले जनवरी में राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कृषि कानून पर किसानों का समर्थन करते हुए नजर आए थे । सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की चिंताओं को सुनने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि ‘सरकार को किसानों का आंदोलन दबाना नहीं चाहिए।
राज्यपाल ने कहा था कि दुनिया में किसी भी मुद्दे को दबाना कोई समाधान नहीं है। दबाने से यह कुछ समय के लिए नीचे चला जाता है, लेकिन फिर यह और भी बड़ी ताकत के साथ उभरता है। कृषि क्षेत्रों से लेकर सत्ता के गलियारों तक की अपनी यात्रा को याद करते हुए, मलिक ने कहा कि वह किसानों की चिंताओं को समझते हैं। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार को किसानों की नाराजगी दूर कर जल्द समाधान निकालना चाहिए ।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के बागपत के रहनेेे वााले सत्यपाल मलिक को मोदी सरकार ने पहले बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया था। फिर भाजपा सरकार ने उन्हें वर्ष 2018 में जम्मू कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया । जम्मू-कश्मीर में उनके रहते हुए ही ‘अनुच्छेद 370’ को हटाया गया, जिसमें उनकी अहम भूमिका रही है। उसके बाद उन्हें गोवा का राज्यपाल बनाया गया ।
पिछले वर्ष उन्हें मेघालय का गवर्नर के पद पर नियुक्त किया गया था । यहां हम आपको बता दें कि सत्यपाल मलिक पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाटलैंड होने के नाते हमेशा किसानों के समर्थन में खड़े दिखाई दिए हैं । सबसे अहम सवाल यह है कि कोई भी राजनीतिक दल के नेता जब किसानों के गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाटलैंड में जाएंगे तब उन्हें उनके समर्थन और हितों के पक्ष में ही बात करनी होगी । जैसा आज मेघालय राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े नजर आए ।
दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत आज संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे । यहां उन्होंने किसानों से मुलाकात कर उनसे नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में सहयोग करने की अपील की। राकेश टिकैत ने कहा कि उनका संगठन देश में जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां के लोगों से किसानों के खिलाफ बिल लाने वाली पार्टियों और बीजेपी को हराने की अपील कर रही है।