सिंधु देश की मांग की कहानी 1947 से जुड़ी है. भारत को आजादी मिलने के बाद सिंधु क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया और पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक बन गया. अलग सिंधु देश की मांग 1967 से शुरू हुई जब पाकिस्तान सरकार ने यहां के निवासियों के ऊपर उर्दू भाषा थोप दी. यहां के लोगों ने इसका विरोध किया और इसके फलस्वरूप सिंधी अस्मिता का जन्म हुआ.
‘सिंधु देश’ जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सिंधियों के लिए अलग देश. सिंधु देश एक विचार है जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बसे और दुनिया भर में फैले सिंधियों का एक सपना है. ये सिंधी दुनिया दूसरे एथनिक समुदायों की तरह अपने लिए एक अलग होमलैंड की मांग करते आ रहे हैं. जैसे कुर्द अपने लिए अलग देश की मांग करते हैं, यहूदी समुदाय के लोगों ने इजरायल नाम का अपना देश बनाया है, उसी तरह सिंधी पाकिस्तान के अंदर एक निश्चित भूभाग में अपने लिए एक स्वतंत्र और सार्वभौम मातृभूमि चाहते हैं.
सिंधु देश की मांग की कहानी 1947 से जुड़ी है. भारत को आजादी मिलने के बाद सिंधु क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया और पाकिस्तान के चार प्रांतों में से एक बन गया. अलग सिंधु देश की मांग 1967 से शुरू हुई जब पाकिस्तान सरकार ने यहां के निवासियों के ऊपर उर्दू भाषा थोप दी. यहां के लोगों ने इसका विरोध किया और इसके फलस्वरूप सिंधी अस्मिता का जन्म हुआ. इन्होंने अपनी भाषा और संस्कृति की दुहाई दी और लोगों को एकजुट किया. इस मुहिम में सिंधी हिन्दू और सिंधी मुसलमान दोनों शामिल हुए.