नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश किया, जिसमें वक्फ प्रबंधन, सरलीकरण, संरक्षण और विकास को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैं। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और प्रबंधन को पारदर्शी बनाना है। हालांकि, विपक्ष ने इसे मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया और एकजुट होकर विरोध दर्ज किया।
विधेयक के मुख्य बिंदु:
वक्फ संपत्तियों की स्थापना: अब केवल वसीयत द्वारा दी गई संपत्ति को ही वक्फ माना जाएगा। दान करने वाले व्यक्ति का पिछले 5+ वर्षों से मुस्लिम होना अनिवार्य होगा।
सरकारी संपत्तियों पर वक्फ का दावा: नए संशोधन के तहत सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
वक्फ बोर्ड का नियंत्रण: पहले वक्फ बोर्ड को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार था, लेकिन नए विधेयक में यह अधिकार समाप्त कर दिया गया है।
संपत्तियों का सर्वेक्षण: वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण अब राज्य सरकार द्वारा नियुक्त कलेक्टर करेंगे।
ट्रिब्यूनल सुधार: अब ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष मुस्लिम कानून विशेषज्ञ होगा और इसके फैसलों को 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
ऑडिटिंग प्रणाली: अब कैग (CAG) के माध्यम से वक्फ संपत्तियों का ऑडिट किया जाएगा।
सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रुकेगा, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों को सीमित करता है।
