कभी-कभी हमारे देश में कुछ ऐसी तस्वीरें आती हैं जो आज के शिक्षित युवा वर्ग का दर्द बयां कर जाती हैं. नौकरी पाने के लिए हजारों युवा बेहद सर्द मौसम में लाइन में खड़े हुए हैं. वह भी ऐसी पोस्ट जो उनकी डिग्री के हिसाब से फिट नहीं बैठती है. लेकिन क्या करें भारत जैसे बड़े देश में आज हालात जस के तस बने हुए हैं. जी हां हम आज बात कर रहे हैं बेरोजगारी की. सरकारों की ओर से दावे खूब पेश किए जाते हैं कि देश में बेरोजगारी दर कम हो गई है लेकिन इसके उलट वास्तविक कहानी कुछ और कहती है. मित्रों बहुत दिन हो गए हैं आज देश में विकराल रूप ले चुकी बेरोजगारी के हालात को जान लिया जाए. मंगलवार को मध्य प्रदेश राज्य से एक ऐसी तस्वीर आई जिसमें सरकारी चपरासी और ड्राइवर बनने के लिए कड़कड़ाती ठंड में पढ़े-लिखे युवाओं की कतार लगी हुई थी.
आवेदन करने वाले अधिकांश अभ्यर्थियों के पास डिग्री देखकर आप हैरान हो जाएंगे. बता दें कि मध्य प्रदेश में बेरोजगार युवा सिस्टम की मार झेल रहे हैं क्योंकि यहां बेरोजगारी सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि अपशब्द बन गया है. उसी बेरोजगारी से हारकर उच्च डिग्री धारी नौजवानों को सरकार ने एक लाइन में खड़ा कर दिया है. वो लाइन जहां बीए-एमए पास को चपरासी बनने के लिए, बीएड पास को माली बनने के लिए, पीएचडी पास को स्वीपर बनने के लिए, डबल एमए पास नौजवान को ड्राइवर के बनने के लिए लाचार होकर खड़ा होना पड़ रहा है. जिला एवं सत्र न्यायालय में जमीन पर युवा लाइन लगाकर बैठे दिखे, जिनके पास फाइल में डिग्रियां तो ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, एलएलबी, बीटेक की थीं लेकिन ये ग्वालियर की अदालत में माली, चपरासी, ड्राइवर और स्वीपर की भर्ती का इंटरव्यू देने आए थे. बता दें ग्वालियर में प्यून, माली, ड्राइवर, स्वीपर की 15 पोस्ट थीं जहां 11 हजार हाईली क्वालिफाइड युवा आवेदन करने पहुंचे थे.
युवाओं ने कहा क्या करें मजदूरी है, इसीलिए चपरासी की नौकरी के लिए आना पड़ा
लाइन में खड़े सभी उच्च शिक्षित डिग्री धारियों के मन में मलाल तो था लेकिन क्या करें बेरोजगारी की वजह से चपरासी ड्राइवर की नौकरी पाने के लिए आना पड़ा. चपरासी, माली और ड्राइवर की नौकरी पाने के लिए कतार में लगे सैकड़ों युवाओं ने कहा क्या करें मजबूरी है इसीलिए इस नौकरी के लिए आवेदन करना पड़ा है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है देश में बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी हुई है. यह कोई मध्य प्रदेश का अकेला मामला नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, जम्मू कश्मीर समेत कई राज्यों में आज पढ़े-लिखे युवाओं के पास कोई नौकरी नहीं है. जब जब कोई भी छोटी-मोटी सरकारी भर्ती निकलती है तो ऐसे ही इन उच्च शिक्षित युवाओं को लाइन में लगानी पड़ती है. सबसे खास बात यह है कि वैकेंसी जितनी रहती है उससे सैकड़ों गुना अभ्यर्थी आ जाते हैं. इसमें भी नौकरी बहुत ही किस्मत वालों को ही मिलती है. बाकी बचे हुए युवा फिर वही उदास मन से लौट जाते हैं एक उम्मीद के साथ.
–शंभू नाथ गौतम