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उत्तरांचल टुडे विशेष: क्यों मनाया जाता है किसान दिवस? जानिए कौन थे किसानों के मसीहा

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सांकेतिक फोटो

अन्नदाता को सम्मानित करने के साथ जागरूक करने के लिए मनाया जाता है किसान दिवस–

कहा जाता है कि भारत गांवों में बसता है और इसे किसानों का देश भी कहा जाता है, किसानों से जुड़े मुद्दों पर अक्सर ही अवाज बुलंद होती रहती है, वहीं आज के दिन को किसान दिवस के तौर पर मनाने का मकसद पूरे देश को यह याद दिलाना है कि किसान देश का अन्नदाता है और यदि उसकी कोई परेशानी है या उसे कोई समस्या पेश आ रही है तो ये सारे देशवासियों का दायित्व है कि उसकी मदद के लिए आगे आएं. किसानों का देश की प्रगति में बड़ा योगदान होता है, इसलिए हमें किसानों को सम्मान देना चाहिए. केंद्र और राज्यों की सरकारें किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. इस विशेष दिवस का उद्देश्य ही यही है कि किसानों के योगदान को सराहा जाए. देश में इस अवसर पर किसान जागरूकता से लेकर कई तरह के कार्यक्रम होते हैं.

किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को मेरठ के नूरपुर गांव में हुआ था. आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेने के बाद चरण सिंह राजनीति में आ गए. राजनीति के साथ-साथ उन्होंने किसानों और सामाजिक मुद्दों पर भी कई आंदोलन किए. अपने आंदोलनों और किसानों की हक की बुलंद आवाज उठाने के चलते पूरे देश भर के किसानों के मसीहा बन गए. और 29 मई 1987 को किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह का निधन हो गया. उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह ने पिता की बागडोर संभाली. लेकिन अजित सिंह किसानों के नेता के रूप में अपने पिता के बराबर जगह नहीं बना सके. उन्होंने अपना करियर राजनीति के क्षेत्र में ज्यादा ध्यान दिया. अजित सिंह ने लोक दल की स्थापना की. वे केंद्र में भाजपा, कांग्रेस और जनता दल गठबंधन की सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे.

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